अमृतसर। भारत -पाकिस्तान सीमा पर तस्करी इत्यादि को रोकने के लिए अब कुत्तों का स्क्वायड निगरानी करेगा। इस दस्ते को के-7 का नाम दिया गया है।
सीमा शुल्क विभाग ने शनिवार को अमृतसर जिले के अटारी में मादक पदार्थों और माल की निकासी के लिए कैनाइन दस्तों को प्रशिक्षित करने के लिए अपना पहला केंद्र शुरू किया है। फिलहाल इस केंद्र में 11 जासूस और खोजी कुत्तों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिनके नाम नेकसी, जैंसी, काइज़र, ख़ालिग़, जानो, जिक्की, जमेर, नेक्सी, निमयी, नीली, जूली इत्यादि है। इनमेंं सात लैब्राडोर जाति के हैंं और शेष जर्मन शेफर्ड हैंं।
इस केंद्र को एक करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है। हालांकि, इसके आगे के विकास के लिए 6 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। प्रशिक्षण के बाद ये प्रशिक्षित कुत्ते ड्रग्स का पता चलने पर भौंक कर नहीं बताएंगे बल्कि संकेत देंगे। ट्रेनिंग का कार्य लगभग आठ माह में पूरा हो जायेगा।
लॉजिस्टिक्स के मुख्य आयुक्त निदेश सुरेश किशनानी और कस्टम की चीफ कमिश्नर रंजना झा ने बताया कि अब सीमा की रखवाली में कुत्तोंं का विशेष योगदान होगा। उनका कहना था कि सीमा पर सामान के इधर -उधर जाने में देरी परेशानी बनती रही है, निगरानी के साथ-साथ ये दस्ता इधर भी सहयोग देगा। अधिकारियों का कहना है कि शुरू में हम यहांं 11 कुत्तों को प्रशिक्षित करेंगे। हमारे पास 286 कैनाइनों को प्रशिक्षित करने की योजना है, जो देश भर के रीति-रिवाजों के 200 रूपों में तैनात किए जाएंगे। अब तक, हमारे पास कुल 17 स्निफर डॉग हैं। कुत्तों के प्रशिक्षण के लिए दो मास्टर्स ट्रेनर लगाए हैं।