रांची
झारखंड में विधानसभा के चुनावी जंग में इस बार महिलाएं बड़ी ‘शक्ति’ होंगी। वोटर लिस्ट के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। राज्य में वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रति एक हजार पुरुष मतदाताओं के अनुपात में महिलाओं की संख्या 914 थी। इस बार प्रति एक हजार पुरुष मतदाताओं के अनुपात में महिलाओं की तादाद 981 है।
हाल में हुए लोकसभा चुनाव के बाद भी राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या और अनुपात में उत्साहजनक वृद्धि दर्ज की गई है। मई-जून में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान प्रति एक हजार पुरुष मतदाताओं पर महिलाओं की संख्या 963 थी। अब प्रति हजार पुरुष मतदाता पर 18 और महिलाएं बढ़ गई हैं।
वोटर लिस्ट के अनुसार, राज्य में पुरुष मतदाताओं की कुल संख्या 1 करोड़ 31 लाख 44 हजार 236 है। जबकि, महिला मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 28 लाख 99 हजार 19 है। राज्य की 81 में से 32 सीटें ऐसी हैं, जहां महिला मतदाताओं की तादाद पुरुषों से ज्यादा हैं।
इन सीटों में बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, नाला, जामताड़ा, घाटशिला, पोटका, जुगसलाई, सरायकेला, खरसावां, चाईबासा, मझगांव, जगरनाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर, तमाड़, खिजरी, हटिया, कांके, मांडर, तोरपा, खूंटी, सिसई, गुमला, बिशुनपुर, सिमडेगा, कोलेबिरा, लोहरदगा और मनिका शामिल हैं।
दिलचस्प आंकड़ा यह भी है कि जिन 32 सीटों पर महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है, उनमें से 28 सीटें अनुसूचित जनजाति या अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं। कोल्हान प्रमंडल की मझगांव सीट पर पुरुष मतदाताओं के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या नौ हजार और जगरनाथपुर सीट पर करीब आठ हजार ज्यादा है।
आठ विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों की तुलना में चार से सात हजार ज्यादा है। इस तरह करीब 40 फीसदी सीटों पर महिला मतदाता संख्या के लिहाज से निर्णायक भूमिका में होगीं। 18-19 साल आयु वाले नए मतदाताओं की संख्या पर निगाह डालें तो यहां भी महिलाएं आगे निकल गई हैं।
राज्य में इस आयु वर्ग के पुरुष मतदाता 5 लाख 18 हजार 319 हैं, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 6 लाख 65 हजार 818 है। हिसाब लगाएं तो नए मतदाताओं में 56 प्रतिशत महिलाएं और 44 प्रतिशत पुरुष हैं।
चुनावी आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली संस्था इलेक्शन वॉच के प्रदेश संयोजक सुधीर पाल कहते हैं, “आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि झारखंड की महिलाओं में मताधिकार के प्रति जागरूकता बढ़ी है। खास तौर पर जनजातीय इलाकों में महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ना उत्साहजनक संकेत है।”