नई दिल्ली
देश की राजधानी दिल्ली में लगातार तीसरे दिन वायु गुणवत्ता 'खराब' श्रेणी में रहने के साथ चौथे दिन भी यही स्थिति बनी हुई है. आज यानी 17 अक्टूबर को दिल्ली के कई इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गया है. हालांकि, सुबह 7 बजे तक कहीं भी प्रदूषण का स्तर 'गंभीर' श्रेणी में नहीं मापा गया है.
बता दें कि कल (16 अक्टूबर) कुछ इलाकों में एक्यूआई गंभीर श्रेणी में मापा गया था. प्रदूषण की वजह की बात करें तो दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए केंद्र की निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार, परिवहन से होने वाला उत्सर्जन दिल्ली के वायु प्रदूषण का लगभग 19.2 प्रतिशत है. इसके अलावा पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना भी है. सैटेलाइट डेटा से बुधवार को पंजाब में 99, हरियाणा में 14, उत्तर प्रदेश में 59 और दिल्ली में एक आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं.
आज दिल्ली का एक्यूआई 267 मापा गया. वहीं कई इलाकों में आज एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी में है.
दिल्ली के इलाके | AQI |
अलीपुर | 261 |
आनंद विहार | – |
अशोक विहार | 276 |
आया नगर | 251 |
बवाना | – |
बुराड़ी | – |
डॉ करणी सिंह शूटिंग रेंज | 227 |
द्वारका सेक्टर-8 | 339 |
आईजीआई एयरपोर्ट | 280 |
दिलशाद गार्डन | 202 |
आईटीओ | 195 |
जहांगीरपुरी | 343 |
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम | 218 |
लोधी रोड | – |
मंदिर मार्ग | – |
मुंडका | 370 |
द्वारका एनएसआईटी | 262 |
नजफगढ़ | 192 |
नरेला | 281 |
नेहरू नगर | 261 |
नॉर्थ कैंपस | 242 |
ओखला फेस-2 | 290 |
पटपड़गंज | 322 |
पंजाबी बाग | 289 |
पूसा DPCC | 214 |
पूसा IMD | 214 |
आरके पुरम | 266 |
रोहिणी | 315 |
शादीपुर | 315 |
सिरीफोर्ट | 252 |
सोनिया विहार | 268 |
अरबिंदो मार्ग | 206 |
विवेक विहार | 285 |
वजीरपुर | 323 |
जैसे-जैसे सर्दियां आ रही हैं, दिल्लीवासी पहले से ही हवा की बिगड़ती गुणवत्ता का असर महसूस कर रहे हैं. बुधवार सुबह 4 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक की रीडिंग 230 थी, जो मुख्य निगरानी स्टेशन पर मंगलवार की रीडिंग 207 से कम है. मौसम की बात करें तो अब न्यूनतम तापमान ने भी गोता लगाना शुरू कर दिया है, जिससे हल्की ठंड का एहसास होने लगा है. आईएमडी ने गुरुवार को मुख्य रूप से साफ आसमान रहने का अनुमान लगाया है, अधिकतम और न्यूनतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस और 18 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की उम्मीद है. NCR की बात करें तो यहां की स्थिति दिल्ली से कुछ बेहतर है.
जहरीली हवा बढ़ा सकती है मेंटल प्रॉब्लम्स
डॉक्टर की मानें तो हद से ज्यादा एयर पॉल्यूशन आंखों की बीमारियों की वजह बन सकता है और इससे मेंटल हेल्थ बुरी तरह प्रभावित हो सकती है. पॉल्यूशन की वजह से लोगों का स्ट्रेस लेवल बढ़ सकता है और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. कई रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि जहरीली हवा से मूड स्विंग्स, एंजायटी, डिप्रेशन और अन्य मेंटल डिसऑर्डर का खतरा बढ़ सकता है. प्रदूषित हवा में मौजूद नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड के संपर्क में आने पर मेंटल प्रॉब्लम से जूझ रहे लोगों की तबीयत बिगड़ सकती है, क्योंकि एयर पॉल्यूशन से मेंटल प्रॉब्लम ट्रिगर हो सकती हैं.
- फरीदाबाद-165
- गाजियाबाद-251
- ग्रेटर नोएडा-236
- गुरुग्राम-170
- नोएडा-224
कैसे मापी जाती है एयर क्वालिटी?
अगर किसी क्षेत्र का AQI जीरो से 50 के बीच है तो AQI ‘अच्छा’ माना जाता है, 51 से 100 AQI होने पर ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’माना जाता है, अगर किसी जगह का AQI 201 से 300 के बीच हो तो उस क्षेत्र का AQI ‘खराब’ माना जाता है. अगर AQI 301 से 400 के बीच हो तो ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच AQI होने पर ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है. वायु प्रदूषण से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.
बता दें कि राजधानी में कल प्रदूषण के स्तर में मामूली सुधार के बाद भी GRAP-1 की पाबंदियां लगी हैं. GRAP-1 के तहत नीचे दी गई पाबंदियां लगाई जाती हैं.
- सड़कों पर समय-समय पर मशीनीकृत सफाई और पानी का छिड़काव
- निर्माण स्थलों पर धूल शमन का उपयोग
- प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कड़ी जाँच, बेहतर यातायात प्रबंधन और उद्योगों, बिजली संयंत्रों और ईंट भट्टों में उत्सर्जन नियंत्रण
- खुले में कचरा जलाने पर प्रतिबंध, डीजल जनरेटर का सीमित उपयोग और भोजनालयों में कोयले या जलाऊ लकड़ी का उपयोग नहीं
- प्रदूषणकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए 311 एपीपी, ग्रीन दिल्ली ऐप, समीर ऐप और ऐसे अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर शिकायतों के निवारण के लिए त्वरित कार्रवाई
- सड़क पर यातायात कम करने के लिए कार्यालयों को कर्मचारियों के लिए एकीकृत आवागमन शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करें
- पटाखों से परहेज कर पर्यावरण अनुकूल तरीके से त्योहार मनाने की सलाह
बता दें कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता के आधार पर GRAP को चार चरणों में वर्गीकृत किया गया है:
स्टेज I – 'खराब' (AQI 201-300);
स्टेज II – 'बहुत खराब' (AQI 301-400);
स्टेज III – 'गंभीर' (AQI 401-450);
स्टेज IV – 'गंभीर प्लस' (AQI >450).
फर्टिलिटी बर्बाद कर सकता है एयर पॉल्यूशन
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो हवा में मौजूद पॉल्यूशन के बेहद छोटे कण शरीर में पहुंच जाते हैं और हमारे खून में मिल जाते हैं. इससे शरीर के सभी अंगों पर बुरा असर पड़ता है. कई रिसर्च में पता चला है कि ज्यादा पॉल्यूशन लोगों की फर्टिलिटी को बुरी तरह प्रभावित करता है और इसकी वजह से इनफर्टिलिटी की परेशानी बढ़ सकती है. पॉल्यूशन से बच्चे और बुजुर्ग बुरी तरह प्रभावित होते हैं, क्योंकि इससे उनके फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है. प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए भी पॉल्यूशन बेहद खतरनाक है. अगर आपको किसी भी तरह की बीमारी है, तो पॉल्यूशन से हर हाल में बचाव करना चाहिए.
एयर पॉल्यूशन से कैसे करें बचाव?
– एयर पॉल्यूशन घर के बाहर ही नहीं, घर के अंदर भी होता है. ऐसे में घर के अंदर एयर क्वालिटी सुधारने की कोशिश करें. खिड़कियां खोलें और ताजा हवा आने दें. पॉल्यूशन कम करने के लिए घर के अंदर एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें. घर के अंदर इनडोर प्लांट्स रख लें, जो हवा को शुद्ध करते हैं.
– जब हवा में प्रदूषण का स्तर अधिक हो, तो घर से बाहर कम से कम निकलें. बाहर जाने से पहले मौसम की जानकारी लेना भी जरूरी है. अगर एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ज्यादा स्तर खराब हो, तो बाहर जाने से बचें. सुबह और शाम के समय प्रदूषण का स्तर अक्सर बढ़ता है, तब सावधानी बरतें.
– घर से बाहर निकलते समय अच्छी क्वालिटी वाला मास्क इस्तेमाल करें. N95 या एक्टिव चारकोल मास्क का उपयोग करें. ये मास्क जहरीली हवा को रोकने में मदद करते हैं. अगर ये मास्क न हों, तो किसी भी तरह का मास्क लगा सकते हैं. मास्क न हो, तो कपड़ा गीला करके मास्क की तरह इस्तेमाल करें.
– हेल्दी लाइफस्टाइल और अच्छा खान-पान आपकी इम्यूनिटी को मजबूत करता है. इससे आप पॉल्यूशन के खिलाफ मजबूती से डटे रह सकते हैं. फल, सब्जियों और नट्स से भरपूर डाइट लें और नियमित रूप से एक्सरसाइज करें. योग या प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है.
– एयर पॉल्यूशन, मौसम में बदलाव और एलर्जेंस समेत कई चीजें अस्थमा को ट्रिगर कर सकती हैं. ऐसे में पॉल्यूशन बढ़ने पर अस्थमा के मरीजों को अपने डॉक्टर से मिलकर कंसल्ट करना चाहिए और अपनी दवाइयां समय से लेनी चाहिए. अगर किसी तरह की परेशानी हो, तो डॉक्टर के पास जाना चाहिए.