खंडवा
मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र के निर्गुणी संत सिंगाजी महाराज की समाधि स्थल पर शरद पूर्णिमा पर लगने वाला दस दिवसीय मेला शुरू हुआ है। इस मेले के पहले ही दिन शरद पूर्णिमा होने के चलते, देश-प्रदेश से देर रात तक यहां करीब दो लाख से अधिक सिंगाजी भक्त पहुंचे और समाधि पर मत्था टेका। वहीं इसके एक दिन पहले से ही यहां करीब 60 हजार भक्त पहुंच चुके थे।
पूर्णिमा पर दिन भर यहां निशान चढ़ाने का सिलसिला जारी रहा। दो दिन में ही यहां करीब एक हजार से अधिक निशान चढाए गए। वहीं झाबुआ के महाराजा परिवार का भी मुख्य निशान मंदिर परिसर में पहुंचा। सिंगाजी महाराज की समाधि पर शाम के समय दीप स्तंभ पर दीपों को प्रज्वलित कर महाआरती भी की गई।
यहां चढ़ाया जाता है शुद्ध देशी घी
सिंगाजी महाराज की समाधी पर दो दिन में दो लाख से अधिक श्रद्धालओं ने अपने गुरु के चरणों में शीष नवाकर गुरु दीक्षिणा में शुद्ध घी चढ़ाया है। यहां दो दिन में करीब पांच बैरल घी इकट्ठा हुए हैं। एक बैरल में 200 लीटर लगभग घी आता है। यह बाजार से खरीदा गया नहीं, बल्कि भक्तों द्वारा पाले गए दुधारू जानवरों के दूध से बनाया गया होता है। इस दौरान 20 ट्रॉली के लगभग नारियल प्रसादी चढ़ाया गया। घूनी माई नहीं होने से रैलिंग किनारे भक्तों ने नारियल फोड़, पूजन कर मां नर्मदा को अर्पित किया।
झाबुआ राजपरिवार क्यों हैं मुरीद?
चार सौ साल से ज्यादा समय से सिंगाजी धाम में झाबुआ के महाराजा के परिवार के यहां से तीन निशान निकलते हैं, जो गुरु पूर्णिमा को चलकर तेरस को संत सिंगाजी गांव पहुंचते हैं। लाल बड़ा वाला निशान संत सिंगाजी का होता है। पीला निशान दल्लुदास महाराज का होता है, जो संत सिंगाजी के नाती हैं। जिनके धागे बांधने से महारानी को पुत्र रत्न की प्राप्ती हुई थी। तीसरा छोटा वाला लाल निशान केवट का है। इसकी नौका नर्मदाजी में राज परिवार को लेकर डूब रही थी। संत सिंगाजी को पुकारने पर संत वहां पहुंचे और नाव को डूबने से बचाया था।
विजय शाह थे मुख्य अतिथि
मेला ग्राउंड में दुकानों पर खरीदी के लिए भीड़ लगी रही। खोया-पाया विभाग ने बच्चों को परिवार से भी मिलाया। जनपद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विजय शाह, कैबिनेट मंत्री, मांधाता विधायक नारायण पटेल की अध्यक्षता में हुआ। इस दौरान समाधि स्थल पर खंडवा विधायक कंचन तनवे, हरसूद जनपद के सीईओ अरविंद पाटीदार सहित कई लोग पहुंचे थे।