लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आज पहले चरण की वोटिंग हो रही है. 11 जिलों की 58 ऐसी सीटों पर मतदान है, जिन पर पिछली बार बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था.उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में आज राज्य के पश्चिमी हिस्से में 11 जिलों की 58 विधानसभा सीटों पर मतदान हो रहा है. पिछले चुनाव में इनमें से 53 सीटें बीजेपी ने जीती थीं लेकिन इस बार सपा-रालोद गठबंधन से उसका सीधा मुकाबला है और कुछ जगहों पर बीएसपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों ने भी मुकाबलों को रोचक बना दिया है. इस चरण में जिन जिलों में मतदान होना है उनमें यूपी की गन्ना बेल्ट कहे जाने वाले जिलों शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर के अलावा ब्रज क्षेत्र के आगरा, मथुरा और अलीगढ़ जिले और राजधानी से लगे गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद जिलों की सीटें शामिल हैं. पहले चरण के चुनाव में प्रदेश सरकार के मंत्री श्रीकांत शर्मा, सुरेश राणा, संदीप सिंह, कपिल देव अग्रवाल, अतुल गर्ग और चौधरी लक्ष्मी नारायण के सियासी भाग्य का फैसला होना है. बीजेपी ने किया था क्लीन स्वीप यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने बुधवार को मीडिया को बताया कि निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव कराने के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं. कोविड-19 को देखते हुए मतदान स्थलों पर थर्मल स्कैनर, हैंड सेनेटाइजर जैसी चीजों की भी व्यवस्था की गई है।
कोविड-19 को देखते हुए चुनाव आयोग ने रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध लगा रखा था जिसकी वजह से इस चरण में ज्यादातर प्रचार वर्चुअल माध्यम से हुआ है. उत्तर प्रदेश चुनाव: 20 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ दर्ज हैं गंभीर आपराधिक मामले साल 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले चरण में बीजेपी को 58 में से 53 सीटों पर इकतरफा जीत मिली थी, जबकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को दो-दो सीटें मिली थीं और एक सीट राष्ट्रीय लोकदल के हिस्से में गई थी. बाद में राष्ट्रीय लोकदल के विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे. दिलचस्प बात यह है कि साल 2017 में बहुजन समाज पार्टी 30 सीटों पर दूसरे नंबर पर थी जबकि 15 सीटों पर सपा दूसरे नंबर पर थी लेकिन इस बार बीजेपी का मुकाबला मुख्य रूप से समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन से ही दिख रहा है. बीजेपी ने उठाया हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा चुनाव प्रचार ज्यादातर भले ही वर्चुअल माध्यम से हुआ और आयोग ने रैलियों पर रोक लगाकर भीड़-भाड़ को रोकने की कोशिश की थी लेकिन छोटी सभाओं और घर-घर जाकर प्रचार के दौरान भी इतनी भीड़ हुई कि सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ गईं. चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों के बीच जबानी तीर भी चले और कई संवेदनशील मुद्दों को भी हवा देने की कोशिश की गई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 से पहले कैराना से हिंदुओं के पलायन का मुद्दा बार-बार उठाया जबकि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान किसान आंदोलन और किसानों से जुड़े अन्य मुद्दों की चर्चा की।