रायपुर
सात मई को हुए रायपुर लोकसभा चुनाव में लगभग 40 घंटे लंबी ड्यूटी करने वाले मतदान कर्मियों को महाराष्ट्र मंडल ने सम्मानित किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि किशोर तारे ने अपने प्रेरक उद्बोधन से शिद्दत से की जाने वाली ड्यूटी का महत्व बताया। वहीं मतदान कर्मियों ने भी अपने कई खट्टे- मीठे अनुभव साझा किए।
मुख्य अतिथि किशोर तारे ने कहा कि जब भी आप एक लक्ष्य तय करके समर्पित भाव से काम करते रहते हैं, तो उसका परिणाम बहुत सुखद रहता है। अपने स्वयं का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब उन्होंने बीएसपी में मजदूर के तौर पर नौकरी शुरू की तो परिस्थितियां बहुत अलग थीं। कई दिनों की मजदूरी इक_ा करके उन्होंने साइंस कॉलेज में अपनी फीस जमा की थी। उनका संघर्ष इसी तरह चलता रहा और आखिरकार 1990 में राउरकेला स्टील प्लांट से बतौर अफसर सेवानिवृत हुए। तारे ने इसी तरह अपने लेखन कार्य के अनुभवों, संघर्षों, उपलब्धियां और पाठकों से मिल रहे प्रतिसाद को भी रोचक अंदाज में बताया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय काले ने कहा कि मंडल अपने आजीवन सभासदों की गतिविधियों, नौकरियों और प्रतिभाओं पर भी सतत पैनी नजर रखता है। इसी का परिणाम है कि समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले प्रतिभाशाली लोगों को सम्मानित किया जाता रहा है। महाराष्ट्र मंडल में यह पहला मौका है जब हम ऐसे सभासदों को सम्मानित करने जा रहे हैं, जिन्होंने हाल ही में लोकसभा चुनाव में मतदान का कार्य अनुशासित व शांतिपूर्ण तरीके से सफलतापूर्वक संपन्न कराया।
मंडल के सचिव चेतन दंडवते ने बताया कि मुख्य अतिथि किशोर तारे चार-चार विश्व रिकॉर्डधारी है। उन्होंने प्रतिदिन अपनी बातें कालम 200 दिनों अखबारों पर चलाया। इसी वजह से उनका नाम लिम्का बुक आॅफ रिकॉर्ड और गोल्डन बुक का रिकॉर्ड में आया। तारे महाराष्ट्र मंडल के एकमात्र ऐसे सदस्य हैं, जिनके नाम पर डाक टिकट भी निकल चुका है। अब तक उन्होंने विभिन्न भाषाओं में 27 किताबें लिखी हैं। इनमें से एक छत्तीसगढ़ी में लिखी गई पुस्तक भी शामिल है। 2023 में डॉक्टर दास ने किशोर तारे पर अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशित किया, जिसे काफी पसंद किया गया था। यह पुस्तक महाराष्ट्र मंडल कार्यालय में उपलब्ध है।
सम्मानित मतदान कर्मचारी
सरिता नासरे, श्यामल जोशी, विद्या डांगे, अभया जोगलेकर, डॉ. प्राची खरे, किशोरी खंगन, दीप्ति पाध्ये, श्याम दलाल, हेमलता दलाल, माधुरी बर्वे, अतुल राहटगांवकर, संजीव बल्लाल, मिलिंद वैद्य, रुपाली बक्षी, मनीषा गायकवाड़, कल्पना लांबे, प्रकाश सदाशिव राव, मनीषा देशपांडे, वर्षा करंजगांवकर, मिलिंद संगवई, मेधा कोतवालीवाले।
साझा किए अनुभव
इस अवसर पर सम्मानित हुए प्रकाश सदाशिव राव ने कहा कि एक वह समय था, जब हमें घर से मच्छरदानी की लकडि?ां लेकर जानी पड़ती थी और अपने संसाधनों से मतदान केंद्र की पूरी व्यवस्था करनी पड़ती थी। हालत यह थे कि सुबह लोटा लेकर खेतों में जाना पड़ता था। उन संघर्ष के दिनों में किसी ने हमें नोटिस नहीं किया और आज सर्व सुविधायुक्त केंद्रों में मतदान करवाने के बाद हमें सम्मानित किया जा रहा है। संजीव बल्लाल ने कहा कि मुझे मतदान की ड्यूटी बहुत भांति है। मैं जानबूझकर इसमें अपनी ड्यूटी लगवाता हूं। एक चुनाव में उन्हें चुनावी ड्यूटी से वंचित रखा गया, तो उन्हें काफी बुरा लगा।
सविता नासरे ने कहा कि मांढर में अपनी स्कूल का कायाकल्प करने के बाद महाराष्ट्र मंडल ने उनके कार्य को नोटिस किया था और उन्हें सम्मानित किया था। राजिम स्कूल में काम करते हुए एक बार फिर महाराष्ट्र मंडल ने उन्हें सम्मानित करने का मौका ढूंढ लिया। अतुल राहटगांवकर के मुताबिक महाराष्ट्र मंडल से सम्मान के लिए बुलावा आने पर एहसास हुआ कि वाकई हमने कोई विशेष काम किया है। कार्यक्रम के अंत में उपाध्यक्ष श्याम सुंदर खंगन और एडवोकेट प्रशांत देशपांडे ने आभार व्यक्त किया।