नई दिल्ली
सौरमंडल के बाहर पृथ्वी जैसा दूसरा ग्रह ढूंढना अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए हमेशा से ही महत्वाकांक्षी मिशन रहा है। सालों से अंतरिक्ष वैज्ञानिक इस खोज में लगे हैं कि पृथ्वी की तरह ही चट्टानों से भरा कोई बाहरी ग्रह खोजा जा सके जिसका अपना एक वायुमंडल हो, और वहां पर जीवन पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां हों। खगोल वैज्ञानिकों ने ऐसा एक ग्रह आखिरकार खोज निकाला है।
शोधकर्ताओं ने कहा है कि उन्होंने पृथ्वी से कहीं ज्यादा बड़ा और भारी, लेकिन नेप्च्यून से छोटा एक ग्रह खोजा है जिसे सुपर अर्थ (Super Earth) कहा जा सकता है। यह ग्रह खतरनाक तरीके से एक तारे की परिक्रमा कर रहा है। इसका तारा हमारे सूर्य से थोड़ा छोटा और थोड़ा कम चमकीला है। यह ग्रह अपना एक घूर्णन यानी एक रोटेशन 18 घंटे में पूरा करता है। यानी जिस तरह पृथ्वी अपनी धुरी पर 24 घंटे में चक्कर पूरा कर लेती है, नए ग्रह पर 18 घंटे का एक दिन बनता है। लेकिन निराशाजनक बात यह बताई गई है कि इसकी सतह पर पिघली हुई चट्टानें भरी हैं जैसा कि ज्वालामुखी से लावा निकलता है। और यहां पर जीवन की फिलहाल कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।
James Webb Space Telescope की मदद से इस ग्रह के बारे में इंफ्रारेड ऑब्जर्वेशन करके देखा गया है। इसका वायुमंडल जीवन को पनाह नहीं दे सकता है। क्योंकि पाया गया है कि इसकी सतह पर चट्टानें पिघले हुए रूप में मौजूद हैं और इनसे लगातार गैसे निकल रही हैं जो इसके वातावरण में भरी हुई हैं। यानी यहां पर मैग्मा का महासागर मौजूद है।
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने इसका नाम 55 Cancri e or Janssen रखा है। यह धरती से 8.8 गुना यानी लगभग 9 गुना भारी है। कहा जा रहा है कि इसका वायुमंडल कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी गैसों से भरा है। लेकिन यहां पर दूसरी गैसें जैसे जल वाष्प, और सल्फर डाइऑक्साइड भी मौजूद हो सकती हैं। अभी तक निकाले गए नतीजे इस बात की पुष्टि नहीं करते हैं कि असल में इसके वायुमंडल में क्या क्या मौजूद है। Nature जर्नल में स्टडी को पब्लिश किया गया है। साथ ही इसका वायुमंडल कितना घना है, इसकी भी पुष्टि नहीं हो पाई है।
खोजा गया नया ग्रह इसके तारे की परिक्रमा बहुत नजदीक से कर रहा है। यह हमारे सौरमंडल में बुध और सूर्य के बीच की दूरी का 1/25वां भाग है। इसलिए इस ग्रह का तापमान 1725 डिग्री सेल्सियस पर धधक रहा है। यह अब तक का सबसे गर्म चट्टानी ग्रह कहा जा रहा है। यह मिल्की वे गैलेक्सी में मौजूद है और पृथ्वी से 41 प्रकाशवर्ष दूर है।
वैज्ञानिकों को अपनी खोज के दैरान यह एग्जोप्लेनेट मिला जिसके पास एक वायुमंडल के होने के संकेत भी मिले। लेकिन अंतत: कहा गया कि यहां पर कोई वायुमंडल टिक ही नहीं सकता है। क्योंकि यह अपने तारे के इतना नजदीक है कि इसका वायुमंडल तारीकिय रेडिएशन और हवाओं के कारण नष्ट हो जाएगा। बावजूद इसके सतह पर जो लावा मौजूद है, उससे निकलने वाली गैसें इसके वायुमंडल को फिर से बना देती होंगीं। लेकिन ग्रह के बारे में एक बात साफ है कि यह रहने लायक नहीं है। क्योंकि यह इतना गर्म है कि यहां पानी तरल रूप में नहीं ठहर सकता है जो कि जीवन पनपने के लिए बहुत जरूरी है।