“शिव प्रिय मैकल, शैल सूता सी।
सकल सिद्ध सुख सम्मति राशी”
अमरकंटक/ अनूपपुर जिले का यह तीर्थ शिरोमणि आज समूचे भारतवर्ष में व विश्व मे ख्याति पा रहा है और समूचे विश्व से लोग इस तीर्थराज अमरकंटक में पहुंच कर माँ नर्मदा की कृपा व माँ नर्मदा की ममतामयी आँचल में स्वयं को समर्पित कर देने के लिए लालायित हैं। माँ नर्मदा के उद्गम स्थल और भगवान सदाशिव भोले नाथ जी का प्रिय यह मैकल पर्वत आज विश्व विख्यात है और “अमरकंटक” के नाम से सुप्रसिद्ध है। यहाँ पहुंचकर माँ नर्मदा के दर्शन मात्र से ही पुण्य लाभ होता है और लोगों के सब पाप कट जाते हैं। माँ नर्मदा में स्नान करने को गंगा मैया में स्नान करने के समान माना गया है। हालांकि माँ नर्मदा के महात्म्य की हज़ारों कथाएं हैं, जिन कथाओं को भक्तगण बड़ी श्रद्धा भाव के साथ श्रवण करते हैं और माँ नर्मदा की आराधना करते हैं। हम सभी का सौभाग्य है कि हम माँ नर्मदा की पावन भूमि पर रहकर हर घड़ी मां नर्मदा की कृपा और आशीर्वाद से अभिसिंचित होते हैं और मां नर्मदा की गोद में रहते हैं। माँ नर्मदा के जन्मोत्सव को लेकर भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है और पूर्व से ही माँ नर्मदा के जन्म जयंती के पावन अवसर पर भक्तों का तांता लगा हुआ है और माँ नर्मदा के दर्शन के प्रति उनकी आतुरता सराहनीय व पूज्यनीय है।
सबिंदु सिन्धु सुस्खल तरंग भंग रंजितम,
द्विषत्सु पाप जात-जात कारि वारि संयुतम।
कृतान्त दूत काल भुत भीति हारि वर्मदे,
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे।।
हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार, प्रतिवर्ष माघ माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी को माँ नर्मदा की जयंती बड़े धूम धाम से मनाई जाती है और सन 2022 में माँ नर्मदा जी की जयंती 7 फरवरी, सोमवार को है। माँ नर्मदा भारत की प्रमुख नदियों में से एक हैं,जो कि देश की भौगोलिक परिस्थितियों को सुसज्जित करने में अहम भूमिका निभाती हैं तो कई क्षेत्रों में माँ नर्मदा के मीठे पानी का अमृत पड़ने के कारण वो क्षेत्र फलीभूत हो रहे हैं। इसका वर्णन रामायण, महाभारत आदि अनेक धर्म ग्रंथों में भी मिलता है। इस पावन दिवस के अवसर पर भक्तगण नर्मदा नदी की पूजा करते हैं। यह माना जाता है कि माँ नर्मदा के पूजन से भक्तों के जीवन में शान्ति तथा समृद्धि का आगमन होता है। मध्य प्रदेश के अमरकण्टक नामक स्थान से नर्मदा नदी का उद्गम होता है। अमरकण्टक नर्मदा जयन्ती के पूजन के लिये सर्वाधिक लोकप्रिय स्थान है।
कैसे करें माँ नर्मदा की अर्चना?
माघ मास की सप्तमी तिथि को मेकल सुता माँ नर्मदा जी की जयंती के दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त से पहले, प्रणाम करके नर्मदा स्नान करना चाहिए। इस दिन धुले हुए वस्त्र पहनकर विधिवत अक्षत, पुष्प, कुमकुम, हल्दी, धुप-दीप से पूजन करें। नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा में 11 आटे के दीपक जलाकर दान करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
नर्मदा जयंती क्यों मनाई जाती है?
नर्मदा जयंती को मनाने के कई कारण है, जिसके पीछे कई पौराणिक कथाएं एवं मान्यताएं छिपी हैं। नर्मदा जयंती माघ के महीने में जब शुक्ल पक्ष की सप्तमी आती है, उस दिन को इस पर्व के रूप में मनाया जाता है। नर्मदा जी की रेवा नाम से भी अराधना की जाती है। मान्यता के अनुसार नर्मदा जी में स्नान को गंगा स्नान के समान पवित्र माना गया है। इस दिन भक्त अपने पापों का नाश करके तन और मन की शुद्धि हेतु इस दिन को मनाते हैं। यह भी कहा जाता है इस स्नान से पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं एक कथा के अनुसार हिरण्यतेजा नाम के राजा ने चौदह हजार दिव्य वर्षों तक भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तप्सया की थी। जिससे भगवान शिव ने उसे वर मांगने को कहा था।
तब राजा ने कहा था कि नर्मदा जी को पृथ्वी पर भेज कर प्राणियों व मानवजाति का उद्धार करें। इस नदी में ही राजा ने अपने पितरों का भी तर्पण किया था। तभी शिव जी के तथास्तु कह कर राजा हिरण्यतेजा को यह वरदान प्रसन्न हो कर दे दिया था। उस समय माता नर्मदा जी ने मगरमच्छ पर सवार हो कर पृथ्वी पर प्रस्थान किया और उदयाचल पर्वत पर जाकर उत्तर से पश्चिम दिशा की ओर बहना शुरू कर दिया था. इसी कारण से यह दिन नर्मदा जयंती के रूप में बहुत आस्था के साथ मनाया जाता है।
इस प्रकार है नर्मदा जन्मोत्सव 2022 के कार्यक्रम की रूपरेखा
अनंत पुण्य पावनी शिव स्वेदोद्भ पतित पुण्य पावनी मां नर्मदा का पावन जन्मोत्सव का महापर्व श्री नर्मदा मंदिर एवं उद्गम स्थल अमरकंटक में दिनांक 8 फरवरी 2022 दिन मंगलवार को अत्यंत हर्ष उल्लास एवं बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाना सुनिश्चित है। इस पावन अवसर पर दिनांक 7 फरवरी दिन सोमवार समय प्रातः 10:00 बजे मां नर्मदा की भव्य शोभायात्रा ( नगर भ्रमण) निकाली जाएगी व नगर भ्रमण किया जाएगा। भ्रमण पश्चात दोपहर 2:00 बजे से अखंड नर्मदा संकीर्तन प्रारंभ होगा। दिनांक 8 फरवरी दिन मंगलवार मध्यान्ह 12:00 बजे से श्री नर्मदा मंदिर एवं उद्गम स्थल में श्री नर्मदा जन्मोत्सव पूजा, कन्या पूजन, कन्या भोज एवं विशाल भंडारा प्रसाद वितरण आरंभ होगा एवम शाम 7:00 बजे माँ नर्मदा की भव्य महाआरती होगी।