नेशनल पार्क के बाशिंदों को राहत, इलाज के लिए 100 किमी का फासला तय करने मजबूर थे ग्रामीण
बीजापुर। इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान में स्थित सेंड्रा समेत आधा दर्जन से ज्यादा गांव स्वास्थ्य सुविधाओं से सीधे तौर पर जुड़ गए हैं। करीब दो दशक बाद सेंड्रा में प्राइमरी हेल्थ सेंटर का संचालन शुरू हुआ है। जिसमें एएनएम, एमपीडब्लू भी पदस्थ है। लगभग दो दशक बाद नेशनल पार्क में अस्पताल संचालित किए जाने से सेंड्रा के साथ-साथ बडे चेरपल्ली, कोकेड़ा, मदकुड़, अन्नापुर, टेकमेटा आदि गांवों के बाशिंदों को प्राथमिक चिकित्सा हो या आपात स्थिति में करीब 80 किमी दूर भोपालपट्नम हेल्थ सेंटर या फिर इंद्रावती पार महाराष्ट्र के सीमावर्ती स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने की जद्दोजहद से निजात मिल गई है। गौरतलब है कि नक्सल समस्या के चलते करीब दो दशक से नेशनल पार्क इलाके में विकास कार्यों पर ग्रहण लगा हुआ है। यहां ना तो स्कूल संचालित किए जा रहे थे और ना ही अस्पताल, ना राशन दुकानों का संचालन। यहां तक की चार दशक से यहां पंचायत चुनाव भी नहीं हुए। ऐसे में दो दशक बाद स्कूल और अब स्वास्थ्य सुविधा की दस्तक से नेशनल पार्क के बाशिंदों को राहत मिली है। अस्पताल के संचालन से पहले साल के कुछ दिन हेल्थ टीम जंगल, नदी-नालों को लांघ सेंड्रा समेत आसपास के गांवों में पहुंचकर मेडिकल कैम्प के जरिए लोगों तक स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करा रही थी। बीएमओ डॉ अजय रामटेके ने बताया कि सेंड्रा पीएचसी के लिए जितने स्टॉफ का प्रावधान है, उनकी नियुक्ति है, परंतु अस्पताल संचालित ना होने से उनकी सेवाएं अन्यत्र ली जा रही है। अब अस्पताल खुल चुका है, जल्द ही स्टॉफ को मूल पदस्थापना पर ड्यूटी ज्वाइन के आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
कठिनाइयों के बाद भी पीछे नहीं हटे:
सेंड्रा में मेडिकल कैम्प के उद्देश्य से भोपालपटनम से मेडिकल टीम रवाना होती थी। बीएमओ रामटेके के नेतृत्व में टीम तीन से चार दिन गांवों में रूककर ग्रामीणों का इलाज करती और फिर वापस लौटती। डॉ रामटेके का कहना है कि हालात जैसे भी रहे हो, उनकी टीम परिस्थितियों से जूझकर भी गांवों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने में कामयाब रही है। मेडिकल कैम्प के लिए उन्हें दुर्गम पहाड़ी उतार-चढ़ाव, नदी-नालों वाले रास्तों की चुनौती को पार करनी पड़ती थी, बावजूद कठिनाईयों को देखकर भी वे पीछे नहीं हटे।