दरभंगा.
बिहार के दरभंगा जिले के हायाघाट थाना क्षेत्र के रमौली गांव में शादी समारोह में जल रही भट्ठी से उठी चिंगारी से पांच बच्चे झुलस गए। उसके बाद घायल बच्चों को इलाज के लिए डीएमसीएच में भर्ती कराया गया है। डीएमसीएच में बच्चों का इलाज कर रहे डॉक्टर ने बताया कि बच्चे 15 से 20 प्रतिशत जल गए हैं।जानकारी के अनुसार, भंगी रमौली गांव में अपने मामा के शादी में आए बच्चों के झुलस जाने से खुशी का माहौल गमगीन हो गया।
घायल बच्चों में दूल्हे निर्मल कुमार की दोनों बहनों के पांच बच्चे झुलस गए। फिलहाल इन बच्चों का इलाज डीएमसीएच के सीसीडब्ल्यू में चल रहा है। बताया जा रहा है कि भंगी रमौली गांव में राम शंकर यादव के बेटे निर्मल कुमार की शादी थी। शादी समारोह में आईं निर्मल यादव की दो बहनें अपने बच्चों के साथ कमतौल थाना क्षेत्र के बगला खिरमा गांव से शरीक हुई थीं। समारोह में गैस की भट्ठी पर खाना बन रहा था। इसी दौरान गैस लीक होने की वजह से अचानक चूल्हे से आग के शोले उठने लगे। इससे बगल में खेल रही संतोषी कुमारी (10), अभिषेक कुमार (06), ज्योति कुमारी (08), संपत कुमार (04) और नंदिनी कुमारी (10) झुलस गए। इसके बाद नंदिनी का इलाज स्थानीय स्तर पर कराया गया, जबकि चार अन्य का इलाज डीएमसीएच में चल रहा है। यह जानकारी बच्चों की नानी पुनीता देवी ने गुरुवार को डीएमसीएच में दी। चिकित्सकों ने बताया कि बच्चे 15 से 20 प्रतिशत जले हैं। बच्चों का इलाज किया जा रहा है।
तीन बच्चों का एक ही बेड पर शुरू हुआ इलाज
डीएमसीएच इमरजेंसी के सर्जरी परीक्षण कक्ष में आग से झुलसे मासूम बच्चों की मलहम-पट्टी कर ड्रेसिंग की गई। इस दौरान सभी बच्चे जोर-जोर से रोते रहे। इसके बाद सभी को इमरजेंसी विभाग के सीसीडब्ल्यू (सेंट्रल कैजुअल्टी वार्ड) के कक्ष नंबर एक में शिफ्ट कर दिया गया। इस कक्ष में कुल पांच बेड लगे थे, जिनमें से चार बेड पर इमरजेंसी के अन्य मरीजों का इलाज चल रहा था। इसलिए तीन बच्चों को एक बेड नसीब हुआ। जबकि एक मासूम कई घंटे तक अपने स्वजन की गोद में ही रोता रहा। कमरे में लगे दो पंखों की धीमी गति के कारण मरीजों और स्वजन को गर्मी से राहत नहीं मिल रही थी। बताया जा रहा है कि इस उमस पड़े वातावरण में झुलसे मासूम बिलखने लगे। उसके बाद स्वजन हाथ पंखा खरीद कर लाए और झलने लगे तो मासूमों को राहत मिली।
डीएमसीएच में कोई बर्न विभाग ही नहीं है
गौरतलब है कि डीएमसीएच में आग से जले मरीजों के उपचार की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। यहां न तो बर्न विभाग है और न ही विशेषज्ञ चिकित्सक। इसके अभाव में आग से झुलसे मरीजों का इलाज सर्जरी विभाग में अन्य मरीजों के साथ किया जाता है। जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि आग से झुलसे मरीजों को सबसे अधिक खतरा संक्रमण से होता है। इसलिए ऐसे मरीजों के इलाज की व्यवस्था वातानुकूलित माहौल में की जाती है।