जगदलपुर
अबूझमाड़ के टेकमेटा क्षेत्र में तीन माह पहले चलाए गए आपरेशन ‘सूर्यशक्ति’ ने नक्सलियों के चिकित्सा तंत्र पर करारी चोट की है। नक्सल विरोधी अभियान के अंतर्गत खुफिया जानकारी मिली, सुरक्षा बलों के नए कैंप स्थापित किए गए। उसके बाद अबूझमाड़ में हुई दो बड़ी मुठभेड़ों में सुरक्षा बल ने नक्सलियों के तीन चिकित्सकों को मार गिराया।
टेकमेटा मुठभेड़ में पांच लाख की इनामी नक्सली चिकित्सक संगीता डोगे वहीं छोटेबेठिया मुठभेड़ में नक्सलियों की चिकित्सक व पांच लाख की इनामी रजिता व रीता सलामे को मार गिराया गया। अबूझमाड़ में ही नक्सलियों की चिकित्सा विभाग की सक्रियता है। यही विभाग बूढ़े, बीमार और घायल नक्सलियों का उपचार करता है। सुरक्षा बल को गत मंगलवार को टेकमेटा में हुई मुठभेड़ के बाद दवाइयां और चिकित्सा उपकरण भी मिले हैं।
बस्तर आइजीपी सुंदरराज ने बताया कि नक्सलियों के अस्पताल आधुनिक चिकित्सा उपकरण से युक्त नहीं होते, पर जंगल के भीतर इनका महत्व है। ऐसे अस्पतालों कुछ जीवनरक्षक दवाएं होती हैं, कुछ उपकरण होते हैं, जिनमें सर्जिकल किट, बीपी मशीन व बुखार व दर्दनिवारक शामिल हैं। यहां नक्सलियों की नसबंदी भी की जाती है। चिकित्सक प्रशिक्षित नहीं होते पर नक्सली तंत्र में इनकी अहमियत रहती है और उन्हें डाक्टर कहकर संबोधित किया जाता है।
सुरक्षा बल ने प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही नक्सलियों पर दबाव बनाना शुरू किया है। नक्सलियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सबसे मजबूत आधार सुकमा, बीजापुर व दंतेवाड़ा के सीमावर्ती क्षेत्र में है। यहां दक्षिण व पश्चिम बस्तर डिविजन पर दबाव बनाने 16 नये कैंप की स्थापना कर आपरेशन शुरू किया गया है।
सुरक्षा बल जानते थे कि इसके बाद नक्सली अबूझमाड़ की ओर भागेंगे। इसलिए अबूझमाड़ में चार नए कैंप कस्तूरमेटा, मसपुर, इरकभट्टी व पानीडोबीर में स्थापित कर वहां से समांतर अभियान शुरू किया गया। इसकी परिणाम यह रहा कि 16 अप्रैल को छोटेबेठिया में 29 और बीते मंगलवार को टेकमेटा में 10 नक्सलियों को ढेर किया गया।
आइजीपी बस्तर सुंदरराज पी. ने कहा, अबूझमाड़ की भौगोलिक परिस्थिति नक्सलियों के छिपने का सुरक्षित ठिकाना बनी हुई है। यहां वे प्रशिक्षण कैंप व चिकित्सा कैंप संचालित करते हैं। क्षेत्र में लगातार अभियान चलाकर नक्सली ठिकानों को नष्ट किया जाएगा।