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जनवरी-मार्च तिमाही में टेस्ला का नेट प्रॉफिट 55 फीसदी घटा, दूसरी ओर कारों की बिक्री में भी गिरावट दर्ज

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नईदिल्ली

अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी Tesla की इलेक्ट्रिक कारों का इंतज़ार भारतीयों को लंबे समय से है. लेकिन ऐसा मालूम हो रहा है कि ये इंतज़ार और भी लंबा खिचेगा. बीते दिनों जब टेस्ला प्रमुख Elon Musk ने भारत दौरे की बात कही तो लगा कि जल्द ही भारतीय सड़कों पर टेस्ला की कारें फर्राटा भरती नज़र आएंगी. लेकिन बाद में Elon Musk ने भारत दौरे को रद्द करते हुए आगे बढ़ा दिया. अब टेस्ला के इंडिया एंट्री प्लान को एक और ग्रहण लग गया है. 

दरअसल, कंपनी ने कुछ दिनों पहले भारत में अपनी फैक्ट्री लगाने की दिलचस्पी दिखाई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके लिए कंपनी के अधिकारियों का एक दल जमीन तलाशने भारत भी आने वाला था. लेकिन फैक्ट्री लगाने की इस योजना में और भी देरी हो सकती है. क्योंकि Tesla ने फिलहाल अपने मौजूदा फैक्ट्रियों से ही किफायती कारों का प्रोडक्शन करने का फैसला किया है. टेस्ला किसी नए फैक्ट्री में निवेश करने के बजाय इस साल अपने प्रोडक्शन को 50% तक बढ़ाकर 3 मिलियन तक पहुंचाना चाहता है. 

निवेशकों ने टेस्ला के इस फैसले का स्वागत किया है. जिससे कंपनी के तिमाही नतीजों के फाइनेंशियल टार्गेट से कम रहने के बावजूद टेस्ला के शेयरों में आफ्टर-आवर्स ट्रेडिंग में 12% की बढ़ोतरी देखी गई. इवॉल्व ईटीएफ के मुख्य निवेश अधिकारी इलियट जॉनसन, जो टेस्ला और अन्य ईवी निर्माताओं में निवेश करते हैं, उन्होनें टेस्ला के इस निर्णय को सही ठहराया है. 

अब तक क्या रहा अपडेट: 

कुछ दिनों पहले रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि, Tesla ने जर्मनी के प्लांट में राइट-हैंड-ड्राइव (RHD) वाली कारों का प्रोडक्शन शुरू कर दिया है. उनमें से कुछ कारों को टेस्टिंग के दौरान स्पॉट भी किया गया था. रिपोर्ट में बताया गया था कि, टेस्ला इन कारों को भारतीय बाजार में एक्सपोर्ट करेगी. यदि सबकुछ सही रहा तो इस साल के अंत तक टेस्ला की कारें इंडियन रोड पर फर्राटा भरती नज़र आएंगी. 

वहीं Tesla ने हाल ही में अपने नए प्लांट के लिए 2-3 बिलियन डॉलर (लगभग 16,700 करोड़ रुपये से 25,000 करोड़ रुपये) के निवेश का ऐलान किया था. हाल ही में भारत सरकार ने एक नई पॉलिसी भी तैयार की था. जिसके तहत भारत ने कम से कम 500 मिलियन डॉलर का निवेश करने और लोकल मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनियों को इंपोर्ट ड्यूटी में रियायत दी जाएगी. भारत सरकार के इस नितिगत बदलाव के बाद कहा जा रहा था कि, टेस्ला मैन्युफैक्चरिंग प्लांट से पहले अपनी कारों को भारत में इंपोर्ट करेगा. 

नई फैक्ट्री में निवेश से क्यों बच रहा है टेस्ला:

55 फीसदी घटा मुनाफा: 

बता दें कि, हाल ही में टेस्ला ने वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही के नतीजों का ऐलान किया था. जनवरी-मार्च तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट 55 फीसदी तक घटा है.    
कंपनी का 31 मार्च 2024 को समाप्त पहली तिमाही में नेट प्रॉफिट 1.13 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 2.51 अरब डॉलर रहा था. यानी कि कंपनी के नेट प्रॉफिट में पूरे 55 फीसदी की गिरावट आई है. 

कारों की बिक्री गिरी: 

दूसरी ओर Tesla की कारों की बिक्री में भी गिरावट देखी गई है. चीनी कार निर्माता कंपनी बिल्ड योर ड्रीम (BYD) ने कार सेल्स के मामले में हाल ही में टेस्ला को पीछे छोड़ दिया था. जनवरी महीने में BYD ने ऐलान किया था कि, कंपनी ने 2023 के अंतिम तिमाही में 5,26,000 यूनिट्स इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री की थी. वहीं Tesla ने इस दौरान केवल 4,84,500 यूनिट्स वाहन ही बेचे थें. हालांकि पूरे साल की बिक्री में टेस्ला आगे रही है.

नए ब्रांड्स से मिलती चुनौती: 

दुनिया भर में इलेक्ट्रिक कारों की डिमांड तेजी से बढ़ी है. अब तक ग्लोबल मार्केट में टेस्ला को सबसे बड़ी चुनौती BYD से ही मिलती रही थी. लेकिन बीते दिनों टेक जाइंट Xiaomi और Huawei ने भी बाजार में अपने नए इलेक्ट्रिक कार मॉडलों को पेश किया है. दूसरी ओर GAC, SAIC और MG जैसी चीनी इलेक्ट्रिक कार कंपनियों ने भी तेजी से बाजार में पकड़ बनाई है. VinFast भारतीय बाजार को लेकर भी काफी सजग नज़र आ रहा है. हाल ही में कंपनी ने तमिलनाडु के थूथुकुडी में अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का निर्माण शुरू किया है.

Tesla ने घटाई कारों की कीमत: 

बाजार में मिलती चुनौती, घटती कारों की बिक्री के चलते टेस्ला ने हाल ही में कुछ मार्केट में कारों की कीमत घटाई है. चीनी बाजार में Tesla Model 3 की कीमत में 14,000 युआन (लगभग 1.64 लाख रुपये) कटौती की गई है. अब इसकी शुरुआती कीमत 231,900 युआन (लगभग 27.23 लाख रुपये) हो गई है.

वहीं जर्मनी में Model 3 की कीमत 40,990 यूरो (लगभग 36.45 लाख रुपये) से शुरू हो रही है, जो कि पहले 42,990 यूरो (लगभग 38.23 लाख रुपये) थी. कंपनी ने यूरोप, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका जैसे बाजारों में भी कारों की कीमत में कटौती की है. इसके अलावा अमेरिका में Model Y, X, और S जैसी कारें 2,000 डॉलर (लगभग 1.66 लाख रुपये) तक सस्ती हो गई हैं.

ग्लोबल मार्केट में इलेक्ट्रिक कार ब्रांड्स की स्थिति: 

ग्लोबल मार्केट में टेस्ला ही बीते साल का लीडर रहा है. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि ये पोजिशन बहुत लंबे समय तक बरकरार रख पाना टेस्ला के लिए एक बड़ी चुनौती है. ट्रेंडफोर्स द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में टेस्ला का ग्लोबल मार्केट शेयर 19.90% था. वहीं टेस्ला के सबसे निकट्तम प्रतिद्वंदी BYD की हिस्सेदारी इस दौरान 17.10% रही. इन दोनों आंकड़ों में इतना कम अंतर है कि ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि, आने वाले दिनों में BYD, टेस्ला को पछाड़ सकता है. ध्यान रहे है कि, पिछले साल की आखिरी तिमाही में चीनी कंपनी BYD आगे निकल चुका है.

ग्लोबल EV गेम में चीन आगे:

इलेक्ट्रिक वाहनों का शोर भारत में थोड़ी देर से शुरू हुआ. चार्जिंग इंफ्रा, उंची कीमत और रेंज एंजॉयटी के चलते अभी भी इलेक्ट्रिक कारों पर आम भारतीय ग्राहक भरोसा नहीं जता पा रहा है. वहीं ग्लोबल मार्केट की बात करें तो इस मामले में चीन आगे नज़र आ रही है. दुनिया के टॉप 10 इलेक्ट्रिक कार ब्रांड्स में से अकेले चीन की 4 कंपनियां हैं. वहीं जर्मनी की 3, दक्षिण कोरिया की 2 और अमेरिका की केवल 1 (लेकिन लीडर) कंपनी शामिल हैं. इसके अलावा चीनी ब्रांड्स हर बाजार में अमेरिकी कंपनी टेस्ला से पहले एंट्री कर अपनी पकड़ मजबूत करने में लगे हैं. 

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