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जशपुर में तीन अनाथ बच्चों को महिला रिश्तेदार ने पैसा और शादी का लालच देकर बेचा

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जशपुर.

मानव-तस्करी को लेकर जशपुर जिले से सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें तीन अनाथ बच्चों को उनकी ही महिला रिश्तेदार ने मध्यप्रदेश में बेच दिया। 18 अप्रैल को तपकरा थाने में एक बुजुर्ग ने शिकायत दर्ज कराई कि उसका परपोता और दो परपोती को एक महिला रिश्तेदार बहला-फुसलाकर  कहीं ले गई। पूछने पर कुछ भी बताने से इनकार कर रही है। पुलिस अधीक्षक शशिमोहन सिंह ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए तत्काल महिला पुलिस अधिकारी डीएसपी निमिषा पांडेय की अगुवाई में टीम गठित कर अपहृत बच्चों की पता-तलाश में भेजा।

पुलिस अधीक्षक की लगातार मॉनिटरिंग से तीनों नाबालिग भाई-बहनें मानव तस्करी का शिकार होने से बच गए। पूछताछ में बच्चियों ने बताया कि घटना दिनांक के दो दिन पहले उनकी रिश्तेदार उनके घर में आई थी और बोली कि मेरे साथ चलो तो वह प्रार्थी को बिना सूचित किये उक्त दोनों बच्चियों को अपने साथ लेकर अपने घर आई। दो दिन अपने साथ रखा फिर 12 अप्रैल को उसने अपनी स्कूटी से दोनों बहनों को उनके घर तपकरा क्षेत्र स्थित घर में लेकर आई और बोली कि तुम्हारे पिताजी का पैसा निकलेगा, तुम लोग साथ में रहोगे तब मिलेगा, तुम लोग बाहर जाकर काम करोगे तो उसका भी पैसा मिलेगा और तुम लोगों का अमीर घर में विवाह करा दूंगी। जिंदगी अच्छे से कटेगी, तुम्हारे भाई को भी ले जाएंगे। कहकर चुपचाप चलना है किसी को नहीं बताना है कहते हुए अपनी बातों में लेकर तीनों भाई-बहन को स्कूटी से तपकरा आई। महिला ने बच्चियों से कहा कि 'बस से कुनकुरी बस स्टैंड जाना, फिर वहां से दूसरी बस पकड़कर कांसाबेल जाना है, मैं भी आती हूं। कांसाबेल बस स्टैंड में उसकी सहेली मिलेगी कहकर वह बस किराये के लिये 500 रुपये दिए। फिर वह एक बस में बैठाई एवं कुनकुरी में बस बदलकर कांसाबेल पहुंचने पर उनकी रिश्तेदार एवं उसके साथी मिले। रिश्तेदार की साथी ने उन्हें फिर से बस में बैठाकर अंबिकापुर ले गई।

इसके बाद रेलवे स्टेशन अंबिकापुर में ले जाकर अब मेरे साथ रहना है कहते हुये ट्रेन के माध्यम से अनुपपुर होते हुए अपने घर छतरपुर (मध्य प्रदेश) ले गई। रिश्तेदार की साथियों ने दोनों बहनों को कहा कि-तुम लोग दिल्ली जाकर काम करना, अच्छा पैसा मिलेगा तुम लोगों का शादी भी कराना है, तुम्हारा भाई हम लोगों के पास रहेगा। वे लोग तीनों भाई-बहन को 3-4 दिन अपने पास बंधक बनाकर रखे थे, किसी से बातचीत नहीं करने देते थे। इसी दौरान एक दिन उनके पास एक लड़का को शादी करने के लिये बुलाये, बच्ची द्वारा शादी करने से मना करने पर वह वहां से चला गया। इसी दौरान उन्हें पुलिस की सक्रियता के संबंध में जानकारी मिली एवं दबाव पड़ने पर वह अंबिकापुर तक उन बच्चों को छोड़ दिया।

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