पटना
किसी से भी टकरा जाने के तेवर के कारण सुर्खियों में रहने वाले बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव केके पाठक अब चुनाव आयोग को उचित-अनुचित समझाने लगे हैं। शिक्षा विभाग के एसीएस पाठक ने राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) को पत्र लिखकर कहा है कि उनके विभाग में आउटसोर्सिंग के जरिए तैनात अस्थायी कर्मियों को लोकसभा चुनाव की ड्यूटी में लगाना अनुचित है। केके पाठक ने सीईओ से कहा है कि वो सभी जिलों के जिला निर्वाचन पदाधिकारी (जिलों के डीएम ही डीईओ भी होते हैं) को निर्देश दें कि ऐसे स्टाफ को लोकसभा चुनाव के काम में ना लगाया जाए।
सोमवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के स्पष्ट बुलावे के बावजूद पाठक के राजभवन नहीं जाने की खबर ठंडी भी नहीं हुई थी कि चुनाव आयोग से उनके पंगे लेने की खबर आ गई है। यूनिवर्सिटी के कामकाज में पाठक और शिक्षा विभाग की दखल, उसकी वजह से राजभवन और सरकार के बीच तनातनी और इसके बीच में पिस रहे यूनिवर्सिटी के वीसी को लेकर राजभवन ने पाठक को सुबह 10 बजे राज्यपाल से मिलने को बुलाया था। राज्यपाल अपने दफ्तर में इंतजार करते रहे लेकिन केके पाठक नहीं पहुंचे।
अब 1980 बैच के आईएएस अफसर केके पाठक ने बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को पत्र लिखकर कहा है कि आउटसोर्सिंग के माध्यम से अस्थायी रूप से नियुक्ति कर्मियों को चुनाव के कार्य में लगाना उचित नहीं है। पाठक ने अपने पत्र में चुनाव आयोग को बताया है कि राज्य में पर्याप्त संख्या में शिक्षक और शिक्षा कर्मी हैं, जिन्हें लोकसभा चुनाव की ड्यूटी में लगाया गया है। पाठक ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से आग्रह किया है कि वो अपने स्तर से जिला निर्वाचन पदाधिकारियों को निर्देश दें कि शिक्षा विभाग के आउटसोर्सिंग कर्मियों को चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाया जाए। पाठक के पत्र पर चुनाव आयोग क्या स्टैंड लेत है, प्रशासनिक हलकों में इसका इंतजार है।