जांजगीर। जिले के मालखरौदा ब्लाक के मोहतरा गांव में 3 दिवसीय राम नामी मेला का आयोजन किया गया।मेला के शुरुआत जैत खम्भ में सफेद ध्वज चढ़ा कर मेला की शुरुआत की गई। तीन दिनों तक आयोजित इस मेला में रात की ठिठुरन और सर्द मौसम में सिर्फ राम नाम का ही जाप हो रहा है।आखिर क्या है राम नाम का महत्व जानते है इस खास रिपोर्ट में हीरा मोती मैं न मांग मैं तो मांगू साथ तेरा ,,जी हां राम की निराकर रूप को अपने अंग में धारण कर राम पर आस्था रखने वाले ये है रामनामी समाज,जो छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा ,रायगढ़,ओडिसा के साथ महानदी के किनारे निवास करने वाले लोग है।जिन्होंने आजादी से पहले अपने समाज को एक नई पहचान दिलाने का अभियान शुरू की और मंदिर के मूर्ति की पूजा करने के बजाय राम को अपने शरीर में ही धारण कर लिया। अमिट स्याही गोदना से अपने सर से लेकर पाव तक राम राम धारण कर किया ,समाज में राम के प्रति आस्था रखने वालो में कुछ अपने शरीर के हर अंग मे राम गोदवा लिए तो कुछ मस्तक में और कुछ हांथ तो कुछ लोग कपड़ा में ही राम राम की धारण किया। राम नामी समाज वैसे तो राम के निराकर रूप की पूजा करते है लेकिन राम चरित्र मानस का गायन भी करते है। राम नामी समाज राम के प्रति इस आस्था को बड़े भजन मेला के रूप में हर साल महानदी के दोनो किनारे बसे गांव में करते है और मेला स्थल में राम नाम का मंच बना कर रामनाम का खंभा बनाते है ,जहा बैठ कर भजन कर पूरे क्षेत्र को राम राम मय कर देते है।
राम नामी समाज के लोगो राम नाम को अपने जीवन में इस कदर बसा लिए है कि पहली बार मिलने वालो से राम राम का अभिवादन कर अपनी बात की शुरुवात करते है। राम नामी समाज के लोग सादा जीवन उच्च विचार की भावना को अपने अंदर समाहित कर लिए है और खानपान में भी सात्विक आहार लेते हुए ,मांस मदिरा और नशा से दूर रहते है।वही सामाजिक व्यवस्था को कायम रखने में भी लोग जागरूक है और शादी में दहेज लेने देने और अधिक खर्च करने पर भी प्रतिबंध लगाया है।
राम के प्रति समाज के लोगो का आस्था ही है जिसके कारण 109 वर्षो से समाज के लोग खुले आसमान के नीचे रह कर 3 दिनों तक भजन मेला में शामिल होते है और मेला के समापन अवसर पर भोज प्रसाद के बाद अगले वर्ष होने वाले मेला स्थल का भी निर्णय कर लेते है।