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बोकारो जिले में जगली हाथियों के आतंक से ग्रामीण खौफजदा हैं और रात भर जाग कर समय बिता रहे

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बोकारो
बोकारो जिले में जगली हाथियों के आतंक से ग्रामीण खौफजदा हैं और रात भर जाग कर समय बिता रहे हैं। लोग जहां अपने जान माल की सुरक्षा कर रहे हैं, वहीं हाथी के झुंड ग्रामीणों की फसल को चट कर जा रहे हैं।

हाथियों के उत्पात से वन विभाग भी पस्त नजर आता है। बोकारो जिला के कसमार प्रखंड के ग्रामीणों में जंगली हाथियों के आतंक के कारण डर का माहौल पैदा हो गया है। वन विभाग की टीम हाथियों को भगाने में विफल रहा है। हाथी का आतंक कसमार प्रखंड के गुमनजारा, हीसीम, केदला, तेरीयोनाला के जंगल में है। ग्रामीणों के अनुसार लगभग 20 की संख्या में इन क्षेत्रों में हाथी विचरण करते देखे गए हैं।

रात होते ही हाथी गांव में प्रवेश कर जाते हैं और इनका आतंक शुरू हो जाता है। हाथी भगाओ अभियान पूरी तरह सक्रिय नहीं होने के कारण हाथी का दल गांव में प्रवेश कर जा रहा है। इसके चलते गांव वालों की नींद हराम हो गई है।

ग्रामीणों के मुताबिक हाल ही में हाथी के दो शावकों का जन्म जंगल क्षेत्र में हुआ। जब तक शावक चलने लायक नहीं हो जाते तब तक हाथी का झुंड उस स्थान को नहीं छोड़ता है। रात को गांव में भोजन की खोज में हाथी को आना पड़ रहा है। करीब 10-12 का झुंड हीसीम गांव में प्रवेश कर जाता है। गांव वालों को इसकी भनक मिलते ही हाथी को भगाने के लिए मशाल जलाकर खदेड़ा जाता है।

हाथी भागने के क्रम में गेहूं की फसल खाकर जंगल में चले जाते हैं। जानकारों का मानना है कि हाथी का दल बंगाल के जंगल से भटक कर इधर आ गया है। इनका भोजन के लिए गांव में पहुंचना एक कारण माना जा रहा है। जंगलों की अंधाधुंध कटाई से हाथी मजबूरन गांव में प्रवेश कर रहे हैं। हाथी का जिन गांवों में आतंक व्याप्त है, वे हैं — हिसीम, जुमरा पाड़ी, भूऱसाटांड़, पिरगुल, रघुनाथपुर, भवानीपुर, चैनपुर, हड़साली, मेरोमारा, कर्मा, खीजरा आदि। वन विभाग इस मामले में गंभीर नहीं दिखाई देता है।

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