भोपाल
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (RGPV) के घोटाले में पूर्व कुलपति प्रो. सुनील कुमार को पुलिस ने रायपुर से गिरफ्तार कर लिया है। उनकी गिरफ्तारी पर पुलिस ने दस हजार रुपये का इनाम भी रखा था। सरकार ने घोटाला सामने आने के कुछ दिन बाद निलंबित किया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने फरार आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण का आरोप लगाया था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आवास को घेरा भी था।
इसके बाद सरकार और पुलिस सक्रिय हुए और तेजी से कार्रवाई हुई। प्रो. सुनील कुमार ने भोपाल जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। पूर्व रजिस्ट्रार आरएस राजपूत, सेवानिवृत्ति फाइनेंस कंट्रोलर ऋषिकेश वर्मा इस मामले में फरार चल रहे हैं। तीनों पर पुलिस ने इनाम भी घोषित किया है और लुकआउट नोटिस जारी हो चुका है। पुलिस ने आरोपियों की संपत्ति की कुर्क करने की भी तैयारी कर ली है।
भोपाल के पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने कहा कि प्रो. सुनील कुमार को रायपुर से गिरफ्तार किया गया है। चार बजे तक उन्हें भोपाल लाया जाएगा। उसके बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। आरोपियों पर यूनिवर्सिटी के 19.48 करोड़ रुपये निजी खातों में ट्रांसफर करने के आरोप हैं। जांच में इन आरोपों की पुष्टि हुई है। इसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी और गिरफ्तारी की गई है। पुलिस इस मामले में दो बैंककर्मियों और दलित संघ के एक पदाधिकारी को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। पूर्व रजिस्ट्रार आरएस राजपूत की अग्रिम जमानत याचिका भी कोर्ट ने पुलिस की आपत्ति के बाद खारिज कर दी थी। पुलिस को अब आरएस राजपूत और सेवानिवृत्त फाइनेंस कंट्रोलर ऋषिकेश वर्मा की तलाश है। इन दोनों पर ही दस-दस हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है। इन्हें गिरफ्तार करने में मदद करने वालों को यह पुरस्कार राशि दी जाएगी।
क्या है मामला
पुलिस ने तीन मार्च को इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। इसके तीन दिन बाद प्रो. सुनील कुमार गुप्ता ने कुलपति पद से इस्तीफा दिया था। एक महीने बाद उन्हें सस्पेंड किया गया। मामला 19.4 करोड़ रुपये गलत तरीके से निजी खातों में ट्रांसफर करने का है। नौ करोड़ रुपये सोहागपुर के दलित संघ को ट्रांसफर किए गए थे। दो कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया गया था। आरबीएल बैंक के पूर्व कर्मचारी कुमार मयंक को 22 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। उसने निजी बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर किए और RGPV अधिकारियों को झूठे स्टेटमेंट्स उपलब्ध कराए।