धार
हाई कोर्ट के आदेश के बाद धार की भोजशाला में आज सर्वे 21 वें दिन भी जारी है। आज एएसआई की टीम के 18 अधिकारी व कर्मचारी, 22 मजदूरो के साथ सर्वे के लिए आधुनिक उपकरणों के साथ सुबह 8 बजे भोजशाला परिसर में पहुंची।
उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार भोजशाला और भोजशाला के 50 मीटर के दायरे में खनन, जीपीएस, जीपीआर, कार्बन डेटिंग, उच्च स्तरीय फोटोग्राफी, वीडियोेाग्राफी सहित अन्य आधुनिक तकनीक के माध्यम से लगातार सर्वे का काम जारी है।
पिछले 4 दिनों से कमाल मौलाना दरगाह परिसर में स्थित अकल कुइयां का सर्वे भी जारी है । अलग-अलग विधाओं के लगभग पांच अधिकारी अकल कुइयां में उतरे थे । भोजशाला के उत्तरी ओर पिछले हिस्से में सर्वे का काम भी लगातार जारी है।
भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा ने बताया कि हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भोजशाला में सर्वे का आज 21 वां दिन है। निश्चित रूप से इस दौरान सर्वे की जो गति थी। वह परिणामकारी थी। आने वाले दिनों में मशीनों का उपयोग बढ़ेगा । ऐसे वैज्ञानिक जो यहां से निकलने वाले साक्ष्य को प्रमाणित करेंगे, ऐसे अधिकारियों की संख्या बढ़ने वाली है। जिस परिणाम को लेकर यह पिटीशन दायर की गई थी उसे हम प्राप्त करेंगे।
हिंदू पक्ष के आशीष गोयल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के आदेश के बाद से सर्वे का काम बिना अवकाश के लगातार 21 दिनों से जारी है। इस दौरान न्यायालय के आदेश के अनुसार सभी बिंदुओं पर भोजशाला के अंदर और बाहर 50 मीटर के क्षेत्र में एएसआई ने अपनी तकनीक से उत्खनन, ड्राफ्टिंग, मैपिंग, मेजरमेंट, कार्बन डेटिंग, ब्रशिंग से लेकर सारी विधाओं से सर्वे का काम किया है।
सर्वे के दौरान निश्चित रूप से अनेक प्रकार के अवशेष और प्रमाण भी मिले हैं जो इस ओर इशारा करते हैं कि यह शाश्वत सत्य है और यह निश्चित ही कानून और संविधान के दायरे में प्रतिपादित होगा कि यह मां सरस्वती का मंदिर भोजशाला ही है। जैसे-जैसे सर्वेक्षण आगे बढ़ते जा रहा है। हमारा विश्वास भी आगे बढ़ रहा है। अंदर मिल रहे अवशेषों से भी हमे सकारात्मक ऊर्जा मिल रही है । साथ ही कहा कि भोजशाला में मां सरस्वती का अभिषेक होता था। उसका जल बाहर की ओर गोमुख के द्वारा ही सरस्वती कूप या अकल कुइयां में जाता था।
कमाल मौला वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष और मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद खान ने बताया कि अंदर सर्वे का काम अपनी गति से चल रहा है। नई टीम आने वाली है। अंदर जो भी शिलालेख और पत्थर मिल रहे हैं , उनकी जांच के लिए जल्दी ही कुछ मशीनें और साइंटिस्ट यहां पहुंचने वाले हैं।