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महासमुंद सीट शुरू से हाईप्रोफाइल रही, इस सीट पर ओबीसी मतदाता होंगे निर्णायक

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महासमुंद
महासमुंद लोकसभा सीट पर राजनीतिक दलों का प्रचार अभियान तेज हो गया है। अब तक हुए सभी लोकसभा चुनावों में एक-दो बार को छोड़ दें तो भाजपा और कांग्रेस पार्टी के बीच ही मुख्य मुकाबला रहा है। इस बार भी इन्हीं दो पार्टियों के बीच कड़ा मुकाबला है। पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी चुन्नी लाल साहू को 6,16,580 मत मिले थे। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार धनेन्द्र साहू को 5,26,069 वोट प्राप्त हुए थे। तीसरे प्रत्याशी को मात्र 15 हजार मत मिले थे।

लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस व भाजपा में जहां बैठकों का लगातार दौर चल रहा है, वहीं हर दिन कांग्रेसी खेमे से लोग दलबदल कर भाजपा प्रवेश कर रहे हैं। देखा जाए तो महासमुंद सीट शुरू से हाईप्रोफाइल रही है। पहले यह क्षेत्र शुक्ल बंधुओं का प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता था, पर अब परिस्थितियां बदली है। वर्ष 2004 के चुनाव में यहां से दिवंगत वीसी शुक्ल आखिरी बार चुनाव लड़े थे।

शुक्ल बंधुओं की पारी समाप्त होने के बाद भी यह सीट हाईप्रोफाइल बनी हुई है, क्योंकि 2004 में प्रथम मुख्यमंत्री स्व अजित जोगी मैदान में उतरे, तब वे जीते। दूसरी बार वे 2014 में यहां से चुनाव लड़े, तब उन्हें चन्दूलाल साहू ने पराजित किया। इस बार यह सीट फिर से चर्चा में है। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी राज्य के पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू मैदान में हैं। वहीं, भाजपा से राज्य की पूर्व संसदीय सचिव, बसना की पूर्व विधायक रूपकुमारी चौधरी मोर्चे पर डटी हुई हैं। इनके अलावा 16 और लोगों ने नामांकन दाखिल किया है।

यहां दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होगा। इस बीच दल बदल का सिलसिला भी शुरू हो गया है। भाजपा से कांग्रेस प्रवेश करने वालों की संख्या गिनी चुनी है। जबकि कांग्रेस से जिला व जनपद पंचायत के अध्यक्ष उषा पटेल, अनिता रावटे, अरुणा शुक्ला, अनामिका पाल, देवेश निषाद, नानू भाई, बादल मक्कड़ जैसे जन्मजात कांग्रेसियों ने दलबदल कर भाजपा का दामन थामा है।

क्षेत्र में पुरुषों से अधिक महिला मतदाता
इस बार लोकसभा क्षेत्र से कुल मतदाता 17,59,181 हैं। इनमें 8,65,125 पुरुष हैं, जबकि 8,94,023 महिला मतदाता हैं। वहीं, 33 थर्ड जेंडर मतदाता हैं।इनमें पुरुषों की तुलना में महिला वोटर 28,898 अधिक हैं। अब तक देखा जाता रहा है कि मतदान करने में शहरी क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं अधिक उत्साहित रहीं हैं। लंबी कतार में घंटों लगकर वोट डालने की प्रतिबद्धता व जीवटता महिलाओं में देखी गई है। जबकि पोलिंग बूथ पर महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की कतार कम ही रही है।

54 प्रतिशत ओबीसी मतदाता होंगे निर्णायक
राजनीतिक समाजिक आंकड़ों के जानकारों की माने तो महासमुंद लोकसभा में लगभग 54 प्रतिशत ओबीसी मतदाता हैं, जो निर्णायक हैं। इनमें साहू समाज के अलावा, यादव, अघरिया, कोलता, निषाद, मरार पटेल, धोबी, नाई, देवांगन, कुर्मी, पनिका, ओबीसी सिख, मुस्लिम, ईसाई आदि संख्या में हैं। वहीं 15 प्रतिशत अनारक्षित सामान्य वर्ग हैं, जिनमें ब्राह्मण, क्षेत्रीय, वैश्य, जैन, माहेश्वरी, अनारक्षित वर्ग के सिख, ईसाई, मुस्लिम हैं। वहीं 31 प्रतिशत में एसटी व एससी मतदाता हैं।

सामाजिक ध्रुवीकरण की हो रही कोशिश
मौजूदा लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी सामाजिक ध्रुवीकरण की कोशिश में हैं। समाज की राजनीतिक सोच को अपने पक्ष में बनाने सामाजिक बैठकें कराई जा रही है। समाज के लिए दलगत व स्वयं से किये गए कार्यो को गिनाया जा रहा है। प्रतिद्वंदी की खामियां गिनाई जा रही है। जातिवाद, क्षेत्रवाद को हवा दी जा रही है, ताकि परिणाम अपने पक्ष में किये जा सकें।

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