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1980 से 2024 तक 44 वर्ष से छिंदवाड़ा सीट पर कमलनाथ परिवार का कब्जा

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छिंदवाड़ा

मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट, एक उपचुनाव को छोड़ कर पिछले 73 वर्षों से कांग्रेस के कब्जे में है। इसमें से भी करीब 44 सालों से यह सीट कमलनाथ व उनके परिवार के कब्जे में है। इस पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस बार ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। प्रदेश में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि चुनाव सिर्फ छिंदवाड़ा में ही हो रहा है। भाजपा के अध्यक्ष जे.पी. नडडा भी छिंदवाड़ा दौरे पर जाने वाले हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय लगातार छिंदवाड़ा के दौरे पर कार्यकर्ताओं से मिलकर चुनावी रणनीति में व्यस्त रहते हैं।

छिंदवाड़ा से कांग्रेस के उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ के वर्तमान सांसद पुत्र नकुल नाथ हैं तो भाजपा से विवेक बंटी साहू चुनाव मैदान में हैं। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव 2023 में छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र की सातों सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया था। यदि इन सातों सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों के जीत के अंतर को देखें तो सभी सीटों पर कांग्रेस ने 97 हजार 646 मतों की बढ़त प्राप्त की थी। ऐसे में लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए पहला काम इस लीड को पूर्ण करना और विजय की राह बनाना है। छिंदवाड़ा कांग्रेस का अभेद किला है, जो पिछले 73 वर्षों से कांग्रेस की झोली में है। मात्र एक वर्ष 1997 में यह संसदीय सीट भाजपा के पास रही। छिंदवाड़ा सीट पर कांग्रेस का कुल 73 वर्षों से और पिछले 26 वर्षों से तो लगातार कब्जा है।

1997 में पटवा ने कमलनाथ को हराया था
1997 में प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री स्व. सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को उपचुनाव में पराजित कर कांग्रेस का यह किला भेदा था। पटवा की छिंदवाड़ा से विजय प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता के रहते हुई थी, उस वक्त प्रदेश में मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह थे।

इंदिरा गांधी ने कमलनाथ को तीसरा बेटा बताया था
कमलनाथ कांग्रेस के ऐसे नेता हैं, जिन्होंने कांग्रेस की तीन पीढ़ियों के साथ यानि इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अब राहुल गांधी के साथ कार्य किया है। राजीव गांधी के करीबी कमलनाथ के लिए दिसंबर 1980 में छिंदवाड़ा की एक आमसभा में इंदिरा गांधी ने उन्हें विजयी बनाने की अपील करने के साथ ही कहा था कि कमलनाथ मेरे तीसरे पुत्र हैं।

केंद्र में महत्वपूर्ण भूमिकाओं में रहे कमलनाथ छिंदवाड़ा में जमीन से जुड़े हैं। भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 में प्रदेश की 28 सीटों पर विजय के प्रति तो आश्वस्त है ही, मगर वह छिंदवाड़ा सीट पर खासतौर से विजय हासिल कर अबकी बार 29 पार के आंकड़े को छूना चाहती है।

घर में घिर गए कमलनाथ
नकुल नाथ के साथ पिता कमलनाथ को उनके घर में घेरने की भाजपा की कोशिश से उन्हें प्रदेश में अपनी पार्टी के प्रचार के लिए निकलना आसान नहीं होगा। छिंदवाड़ा में कमलनाथ के सहयोगियों ने उनका साथ छोड़ दिया है उसमें महापौर विक्रम अहाके, विधायक कमलेश शाह, सैयद जफर, अजय सक्सेना और कई अन्य प्रमुख नेता हैं, जिनके सहयोग के बगैर इस बार कांग्रेस को चुनाव लड़ना है। भाजपा की प्रदेश के साथ केंद्र में सरकार है। इसलिए भाजपा छिंदवाड़ा सीट पर पूरी शक्ति झोंक कर विजय प्राप्त करना चाहेगी। यदि भाजपा छिंदवाड़ा से विजयी होती है तो एक रिकॉर्ड होगा और यदि नकुलनाथ अपना वर्चस्व कायम रख पाते हैं तो प्रदेश भाजपा के लिए यह मुश्किल होगा।

छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र की रोचक जानकारी

  •     1980 से 2024 तक 44 वर्ष से कमलनाथ परिवार का सीट पर कब्जा है।
  •     1997 के उपचुनाव में एक वर्ष यह सीट भाजपा के पास रही थी।
  •     छिंदवाड़ा से सर्वाधिक उम्मीदवार 1996 में 28 और सबसे कम 3 प्रत्याशी 1962 में खड़े हुए थे।
  •     सर्वाधिक मतदान वर्ष 2019 में 82.39 प्रतिशत और सबसे कम वर्ष 1957 में 33.36 प्रतिशत हुआ था।
  •     कमलनाथ यहां से 9 बार और उनकी पत्नी और बेटा एक-एक बार विजयी हो चुके हैं।
  •     गार्गीशंकर रामकृष्ण मिश्रा यहां से कांग्रेस से तीन बार विजयी रहे।
  •     1957 में यह सीट आरक्षित रही थी, इसलिए यहां से दो उम्मीदवार विजयी हुए थे।
  •     जब 1977 में देश में इंदिराजी के विरुद्ध और जनता पार्टी के पक्ष में लहर थी तब भी यहां से कांग्रेस विजयी रही थी।
  •     सबसे बड़ी विजय छिंदवाड़ा से कमलनाथ की और सबसे छोटी विजय गार्गीशंकर रामकृष्ण मिश्रा की है। दोनों रिकॉर्ड धारी कांग्रेस के हैं।

छिंदवाड़ा लोकसभा परिणाम और अन्य विवरण

चुनाव वर्ष विजयी उम्मीदवार पार्टी मतों से जीत निकटतम प्रत्याशी पार्टी
1951 रायचंद भाई शाह कांग्रेस 34255 पन्नालाल भार्गव निर्द
1957 भीकुलाल लक्ष्मीचंद कांग्रेस 70886 गौरीशंकर प्रसोपा
  नारायणराव वाडिया (आ ) कांग्रेस 69923 संग्राम शाह प्रसोपा
1962 भीकुलाल लक्ष्मीचंद कांग्रेस 29715 संत कुमार मुखर्जी जनसंघ
1967 जी आर मिश्रा कांग्रेस 47983 एच एस अग्रवाल जनसंघ
1971 गार्गीशंकर रामकृष्ण मिश्रा कांग्रेस 18234 पुरषोतमदास गुप्ता जनसंघ
1977 गार्गीशंकर रामकृष्ण मिश्रा कांग्रेस 2396 प्रतुलचंद द्विवेदी भालोद
1980 कमलनाथ कांग्रेस 70131 प्रतुलचंद द्विवेदी जपा
1984 कमलनाथ कांग्रेस 153825 रामकिशन बत्रा भाजपा
1989 कमलनाथ कांग्रेस 40104 माधवलाल दुबे जद
1991 कमलनाथ कांग्रेस 79623 चौधरी चंद्रभान सिंह भाजपा
1996 अलका कमलनाथ कांग्रेस 21382 चौधरी चंद्रभान सिंह भाजपा
1998 कमलनाथ कांग्रेस 153398 सुंदरलाल पटवा भाजपा
1999 कमलनाथ कांग्रेस 188928 संतोष जैन भाजपा
2004 कमलनाथ कांग्रेस 63708 प्रह्लाद पटेल भाजपा
2009 कमलनाथ कांग्रेस 121220 एम राव खवासे भाजपा
2014 कमलनाथ कांग्रेस 116537 चौधरी चंद्रभान भाजपा
2019 नकुल कमलनाथ कांग्रेस 37536 नाथनशाह कवरेती भाजपा

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