Home राजनीति गुजरात में कई सीटों पर उम्मीदवारों के नाम को लेकर बीजेपी के...

गुजरात में कई सीटों पर उम्मीदवारों के नाम को लेकर बीजेपी के नेताओं के बीच मतभेद सामने

10
0

अहमदाबाद
गुजरात में कुछ लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं के बीच मतभेद सामने आए हैं और पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता राज्य पर पकड़ बनाए रखने के लिए उनकी चिंताओं का समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं।

बहरहाल, कांग्रेस ने दावा किया कि अंदरुनी मतभेदों से भाजपा के आगामी लोकसभा चुनाव में तीसरी बार राज्य में सभी 26 सीटें जीतने के प्रयास बाधित हो सकते हैं।

अमरेली, राजकोट, साबरकांठा, सुरेंद्रनगर और वडोदरा जैसी सीटों पर उम्मीदवारों के चयन को लेकर मतभेद सामने आने पर भाजपा असंतुष्ट सदस्यों के साथ बैठकें कर उन्हें हल करने का हरसंभव प्रयास कर रही है।

 क्षत्रिय समुदाय के नेता राज शेखावत ने केंद्रीय मंत्री एवं राजकोट लोकसभा सीट के उम्मीदवार परषोत्तम रूपाला की पूर्व में की गयी टिप्पणी के विरोध में भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। रूपाला ने दावा किया था कि कई राजपूत शासकों ने अंग्रेजों के साथ सहयोग किया था।

टिकट वितरण में भाजपा पर अपने समुदाय की उपेक्षा का आरोप लगाते हुये, शेखावत ने कहा था, ‘‘पार्टी नेतृत्व ने उनके (रूपाला के) खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। इसलिए, मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।’’

समुदाय के सदस्यों ने राजकोट में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में की गई रूपाला की टिप्पणियों को लेकर राज्य के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी किए। रूपाला ने इन टिप्पणियों के लिए माफी मांगी है।

करणी सेना ने गुजरात में अपना आंदोलन तेज करने की धमकी देते हुए कहा कि भाजपा रूपाला की उम्मीदवारी वापस ले या हार का सामना करने के लिए तैयार रहे।

भाजपा के क्षत्रिय समुदाय के सदस्यों को शांत करने की कोशिशों के बीच पार्टी के दो समूहों में अमरेली लोकसभा सीट से प्रत्याशी के तौर पर भरत सुतारिया के चयन को लेकर शनिवार रात को झड़प हो गयी।

निवर्तमान सांसद नारन कछाड़िया के समर्थक अमरेली से सुतारिया को प्रत्याशी बनाने के पार्टी के फैसले से नाखुश दिखायी दिए।

राज्य के पूर्व मंत्री भूपेंद्र चूडासमा सुतारिया की उम्मीदवारी को लेकर मतभेदों को हल करने के लिए शनिवार रात को ही अमरेली पहुंचे लेकिन बाद में पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गयी थी।

चूडासमा ने कहा कि अमरेली से सुतारिया ही भाजपा उम्मीदवार रहेंगे। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘कोई असंतोष नहीं है…सुतारिया ही भाजपा के प्रत्याशी रहेंगे।’’

वडोदरा में दो बार की मौजूदा सांसद रंजन भट्ट के खिलाफ आंतरिक विरोध के कारण उन्हें अपनी उम्मीदवारी वापस लेनी पड़ी। इसके बाद भाजपा ने वडोदरा से हिमांग जोशी को अपना उम्मीदवार घोषित किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में वडोदरा से संसदीय चुनाव जीता था लेकिन बाद में वाराणसी से चुनाव लड़ने के कारण उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी।

साबरकांठा लोकसभा सीट से भीकाजी ठाकोर के चुनाव लड़ने से इनकार के बाद कांग्रेस के एक पूर्व विधायक की पत्नी को सीट से मैदान में उतारने के फैसले के विरोध में 26 मार्च को बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और स्थानीय नेता ठाकोर के समर्थक गुजरात के अरवल्ली जिले के मोडासा शहर में पार्टी कार्यालय के बाहर एकत्र हो गए थे। उन्हें मनाने के लिए पार्टी आलाकमान ने कई दौर की बैठकें की थीं।

भाजपा के हिम्मतनगर तालुक पंचायत सदस्य जितेंद्रसिंह झाला ने शोभना बारैया की उम्मीदवारी क विरोध करते हुए एक खुला पत्र लिखा है।

झाला ने दावा किया, ‘‘मैंने यह कहा है कि पार्टी को ऐसी महिला को टिकट नहीं देना चाहिए जो उसकी महिला इकाई की सदस्य नहीं हैं। वह (शोभना) पार्टी से जुड़ी हुई नहीं हैं। उनके पति भाजपा में शामिल हुए हैं लेकिन वह पार्टी की सदस्य नहीं हैं।’’

बहरहाल, शोभना बारैया ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘मुझे जनता का समर्थन और भरोसा मिल रहा है… मेरे पति 5,000 कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा में शामिल हुए और मैं भी (प्रधानमंत्री) मोदी साहेब की विचारधारा से जुड़ी हूं और यही वजह है कि मोदी साहेब ने मुझे अपना आशीर्वाद दिया है।’’

सुरेंद्रनगर सीट पर भी कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने चंदू शिहोरा की उम्मीदवारी का विरोध किया जिन्हें निवर्तमान सांसद महेंद्र मुंजपारा के स्थान पर टिकट दिया गया है।

चुनवलिया कोली उप-जाति से आने वाले शिहोरा तलपाड़ा कोली समुदाय के सदस्यों से पार्टी के भीतर विरोध का सामना कर रहे हैं।

कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पूर्व सांसद सोमा पटेल ने कहा, ‘‘उन्हें अपनी उम्मीदवारी वापस लेनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता तो हम भाजपा के खिलाफ वोट करेंगे।’’

गुजरात कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने दावा किया कि उम्मीदवारों के चयन को लेकर भाजपा में मतभेद पार्टी के दूसरे दलों से नेताओं को लाने और उन्हें उच्च पद देने के लिए अपने समर्पित कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किए जाने का परिणाम है।

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ सीटों पर असंतोष स्पष्ट हो गया है लेकिन कई अन्य सीटों पर यह अभी दिख रहा है और इससे राज्य में सभी 26 सीटों पर जीत दोहराने के भाजपा के प्रयासों पर असर पड़ेगा।’’ गुजरात में सभी 26 लोकसभा सीटों पर चुनाव के पहले एक चरण में सात मई को मतदान होगा।

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here