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सऊदी अरब से मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में पहली एंट्री

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रियाद
 कट्टर शासन और महिलाओं के लिए कड़े कानूनों वाले सऊदी अरब का झंडा इस बार मिस यूनिवर्स में दिखाई देगा। सऊदी अरब की सुंदरी ने मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में एंट्री लेकर इतिहास रच दिया है। 27 वर्षीय रूमी अलकाहतानी 17 सितम्बर को मेक्सिको में होने जा रही मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही हैं। ये पहली बार है जब सऊदी साम्राज्य की कोई महिला मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भागीदार बनेगी। रूमी ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करके अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिता में किंगडम की पहली प्रतियोगी के रूप में अपनी भागादारी का खुलासा किया।

रूमी ने पोस्ट में लिखा, "मुझे मिस यूनिवर्स 2024 प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का सम्मान प्राप्त हुआ है। यह सऊदी अरब किंगडम की मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में पहली हिस्सेदारी है।" इसके साथ ही उन्होंने सऊदी अरब का झंडा पकड़े अपनी तस्वीर शेयर की है। अलकाहतानी की हिस्सेदारी बहरीन की लूजैन याकूब के नक्शेकदम है। लूजैन ने पिछली बार मिस यूनिवर्स में बहरीन का प्रतिनिधित्व किया था और ऐसा करने वाली वे खाड़ी क्षेत्र की पहली महिला बनी थीं।

कौन हैं रूमी अलकाहतानी?

रियाद में पैदा हुई मॉडल और कंटेंट क्रिएटर रूमी अलकाहतानी को सऊदी महिलाओं को सशक्त बनाने में मील का पत्थर माना जाता है। उनके पास मिस सऊदी अरब का ताज है। गल्फ टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, रूमी ने इसके पहले मिस एशिया इन मलेशिया, मिस अरब पीस और मिस यूरोप सहित कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में किंगडम का प्रतिनिधित्व किया है।

मिस सऊदी अरब टाइटल के अलावा उनके पास मिस मिडिल ईस्ट (सऊदी अरब), मिस अरब वर्ल्ड पीस 2021 और मिस वुमन (सऊदी अरब) जैसे खिताब भी हैं। सऊदी सुंदरी ने डेंटल क्लीनिक में स्नातक की डिग्री ली है और वह अंग्रेजी, फ्रेंच और अरबी भाषा में फर्राटेदार बात कर लेती हैं। रूमी के इंस्टाग्राम पर पेज पर 10 लाख फॉलोवर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी हजारों की फॉलोइंग है।

बदलते सऊदी अरब का प्रतीक

रूमी अलकाहतानी की सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सेदारी एमबीएस के नाम से मशहूर सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 का हिस्सा है। एमबीएस सऊदी अरब की पहचान एक कट्टर देश से बदलकर उदारवादी मुस्लिम देश के रूप में करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने सऊदी अरब के शासन में शामिल रूढ़िवादी धार्मिक अधिकारियों के खिलाफ जाकर फैसले लिए हैं। एमबीएस के लिए फैसले में महिलाओं का ड्राइविंग करना, सार्वजनिक कार्यक्रमों और समारोहों में पुरुषों के बराबर जाकर हिस्सेदारी करना और बिना पुरुष संरक्षक के पासपोर्ट हासिल करने जैसे अधिकार दिया जाना शामिल है।

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