भोपाल
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अब तक 29 लोकसभा सीटों में से 22 के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। चूंकि कांग्रेस ने अपने गठबंधन सहयोगी समाजवादी पार्टी को एक सीट दी है। इस लिहाज से उसे छह और कैंडिडेट्स का ऐलान करना बाकी है। अब तक जिन लोगों को टिकट दिया गया है, उससे संकेत मिलता है कि पार्टी ने कुछ सीटों पर थोड़ी लड़ाई लड़ने की कोशिश की है। हालांकि कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में, कांग्रेस उम्मीदवार बीजेपी की तुलना में कमजोर दिख रहे हैं।
इन उम्मीदवारों में से कई तो केवल अपनी विधानसभा सीटों तक ही सीमित हैं। इसलिए उन्हें एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इन लोकसभा क्षेत्रों के मतदाता शायद ही उन्हें पहचान सकें। ऐसे उम्मीदवारों में भोपाल से अरुण श्रीवास्तव, इंदौर से अक्षय कांति बम, बालाघाट से सम्राट सारस्वत, सागर से गुड्डु राजा बुंदेला, देवास से राजेंद्र मालवीय, खरगोन से पोरलाल खरते, टीकमगढ़ से पंकज अहिरवार और धार से राधेश्याम मुवेल शामिल हैं।
जिन उम्मीदवारों को टिकट मिला है, उनमें से कई विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन विधानसभा चुनाव के लिए किए गए उम्मीदवारों के सर्वे में उनका नाम नहीं आने के कारण उनकी दावेदारी खत्म हो गई थी। इसके अलावा उन्हें टिकट न देने के और भी राजनीतिक कारण थे।
कहा तो यह भी जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की कमी के कारण कांग्रेस ने उन्हें मैदान में उतारा है, लेकिन उनके सामने समस्या यह है कि मतदाता उन्हें ठीक से पहचानते ही नहीं हैं। भोपाल में ग्रामीण क्षेत्र से अरुण श्रीवास्तव अध्यक्ष थे। ग्रामीण इलाके में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच उनकी अच्छी पहचान है, लेकिन शहर इकाई के पार्टीजनों पर उनका नियंत्रण नहीं है।
इंदौर के उम्मीदवार बम को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने इंदौर के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक चार से टिकट मांगा था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। अब उनसे लोकसभा चुनाव लड़ने को कहा गया है, जबकि इंदौर के मतदाता उनसे परिचित नहीं हैं। इसी तरह सागर से चुनाव लड़ रहे बुंदेला मध्य प्रदेश के मूल निवासी नहीं हैं। वह खुरई विधानसभा क्षेत्र से टिकट चाहते थे। बुंदेला को विधानसभा चुनाव का टिकट देने के बजाय लोकसभा चुनाव लड़ने को कहा गया है।
सारस्वत बालाघाट जिला पंचायत के सदस्य हैं। एक समय उनके पिता विधायक थे। बालाघाट के ग्रामीण इलाकों में उनकी कुछ लोकप्रियता है, लेकिन शहरी मतदाता उनसे कम ही परिचित हैं।
इसी तरह मुवेल को धार से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा गया है, जबकि वह मनावर विधानसभा क्षेत्र से टिकट मांग रहे थे। इसी तरह टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी अहिरवार जतारा विधानसभा क्षेत्र से टिकट मांग रहे थे, लेकिन इन तीनों उम्मीदवारों को कमजोर समझे जाने के कारण इन्हें टिकट नहीं दिया गया। इस पृष्ठभूमि में पार्टी को इन उम्मीदवारों के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है।