रायपुर
ईश्वर की कृपा तो सब पर समान रुप से बरसती है लेकिन आपके ग्रहण करने की पात्रता पर निर्भर करता है कि कितनी मात्रा आप पा सकते है यदि पात्र में छिद्र है तो सारी कृपा व्यर्थ हो जाएगी। बुद्धि की चतुराई का प्रयोग कर अपने छल को कब तक छुपा पाएंगे। राम कथा सुनते है, राम मंदिर में राम का दर्शन करते है लेकिन राम का एक गुण या एक दृष्टि भी ग्रहण कर लिया तो घर-समाज में राम राज्य स्थापित हो जाएगा इसके लिए हृदय के मंदिर में राम को बसाना जरुरी है।
श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के समापन दिवस पर दीदी माँ मंदाकिनी ने कहा कि दान का स्वरुप राम से सीखें, श्रीलंका पर विजय पाकर भी विभीषण से आग्रह करते है कि तुम मुझे यश देने के लिए राज सिंहासन स्वीकार कर लो। दैत्यों को उपदेश देना था इसलिए ताड़का का वध किया। ताड़का को निज पद की प्राप्ति हो गई, यह श्रीराम के दया की पात्रता है। दमन किस अवसर पर करना है यह भी प्रभु ने चरितार्थ किया है। राम कथा का उद्देश्य है कि अपने आपको द अक्षर से जोड़कर देखने का प्रयास करें, जब श्रीराम राक्षसों के लिए सुलभ हो गए तो क्या भक्तों के लिए सुलभ नहीं होंगे।
उन्होंने बताया कि हर युग की अपनी विशेषता है? उन्होंने यक्ष सवाल करते हुए श्रद्धालुओं को समझाया कि तमाम सद्गुण होते हुए भी रावण हमारा आदर्श क्यों नहीं हुआ इसलिए की सीताराम की चरणों में यदि अनुराग नहीं है तो वह गुण किसी काम का नहीं। जो लोभी भोगी व स्वार्थी व्यक्ति होगा उसकी हमेशा चिंता रहेगी कि उसका पद न जाए। हर किसी के जीवन में त्रुटियां है, कमियां है कोई पूर्ण नहीं है। जीवन में परिवर्तन नहीं आया तो इसका सिर्फ एक ही कारण है कि प्रभु की चरणों से अनुराग नहीं है।
श्रीराम के अवतरण का उद्देश्य भी यही था कि संसार के मंच पर लीला कर उन सभी विषयों को चरितार्थ करना जो कि हम आपके जीवन से जुड़ा है। जीवन परिवर्तन – प्रबंधन की कथा है श्रीराम चरित मानस। एक दिशा बोध है। अपने जीवन का कल्याण करना चाहते है तो युग तुलसी ने जो अलौकिक प्रसादी दिया है मानस के रुप में उसे ग्रहण करें।
1 नवंबर को दीपपर्व के रुप में मनाएंगे
युग तुलसी श्रीरामकिंकर महाराज जन्मशती महोत्सव पर 1 नवंबर को उनके प्राकट्य दिवस पर देश भर में दीये जलाये जाएंगे। ऐसा संकल्प श्रीरामकिंकर आध्यात्मिक मिशन के सदस्यों ने लिया है ताकि उसकी अलौकिकता से हर व्यक्ति के जीवन में खुशहाली का प्रकाश आता रहे।