सरकार ने हिंदुस्तान जिंक की कंपनी विभाजित करने की योजना को किया खारिज
जेनसोल इंजीनियरिंग को महाराष्ट्र में 520 करोड़ रुपये की सौर परियोजना मिली
सरसों के बीज की कीमतें एमएसपी से नीचे आने पर एसईए की सरकार से दखल की मांग
नई दिल्ली
खान मंत्रालय ने वेदांता समूह की कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड द्वारा कंपनी को विभिन्न इकाइयों में विभाजित करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
सरकार हिंदुस्तान जिंक में सबसे बड़ी अल्पसंख्यक शेयरधारक है। सरकार के पास कंपनी में 29.54 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
खान सचिव वी एल कांता राव ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान कहा, "हम प्रस्ताव से सहमत नहीं हुए।"
हिंदुस्तान जिंक ने पहले अपने बाजार पूंजीकरण को बढ़ाने के लिए जस्ता और चांदी के कारोबार को अलग-अलग इकाइयों में विभाजित करने की योजना की घोषणा की थी।
प्रस्ताव खारिज करने का कारण पूछने पर सचिव ने कहा, "हमारे सामने जो भी बात रखी गई है उससे हम एक शेयरधारक के तौर पर आश्वस्त नहीं हैं।"
हिंदुस्तान जिंक ने पहले कहा था कि उसने कारोबार को विभाजित करने की अपनी योजनाओं का अध्ययन करने के लिए एक प्रमुख सलाहकार फर्म को नियुक्त किया है।
इससे पहले, हिंदुस्तान जिंक ने कहा था कि कंपनी के निदेशक मंडल ने ‘संभावित मूल्य खोलने के लिए अपने कॉरपोरेट ढांचे की व्यापक समीक्षा’ करने का निर्णय लिया है।
जेनसोल इंजीनियरिंग को महाराष्ट्र में 520 करोड़ रुपये की सौर परियोजना मिली
नई दिल्ली
जेनसोल इंजीनियरिंग को महाराष्ट्र में सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित करने के लिए 520 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है।
जेनसोल ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि यह ऑर्डर राज्य की एक अग्रणी बिजली उत्पादन इकाई से प्राप्त किया गया है।
इसमें कहा गया, "इस परियोजना में महाराष्ट्र में 500 एकड़ में 100 मेगावाट एसी/135 मेगावाटपी ग्राउंड-माउंट सौर पीवी बिजली परियोजना का विकास शामिल है, जिसका कुल ऑर्डर मूल्य 520 करोड़ रुपये है।"
जेनसोल ने कहा कि इसके तहत सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कार्य, जरूरी मंजूरियां हासिल करना, संयंत्र की स्थापना और शुरुआत, और संयंत्र के स्विचयार्ड और ट्रांसमिशन बुनियादी ढांचे के रखरखाव सहित तीन साल का परिचालन प्रबंधन शामिल है।
कंपनी ने कहा कि उसका लक्ष्य 450 दिनों के भीतर ऑर्डर पूरा करने का है।
जेनसोल इंजीनियरिंग जेनसोल समूह की कंपनियों का एक हिस्सा है जो सौर ऊर्जा संयंत्रों के विकास के लिए ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण) सेवाएं प्रदान करती हैं।
समूह ने पुणे में एक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माण संयंत्र भी स्थापित किया है।
सरसों के बीज की कीमतें एमएसपी से नीचे आने पर एसईए की सरकार से दखल की मांग
नई दिल्ली
खाद्य तेल उद्योग निकाय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने सरसों के बीज की थोक कीमतें 5,650 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे गिरने पर चिंता जताते हुए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
एसईए के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने बयान में कहा, "हम अधिकारियों से एमएसपी पर सरसों के बीज की खरीद की सुविधा के लिए प्रमुख मंडी क्षेत्रों में खरीद केंद्र स्थापित करने के लिए (सहकारी) नेफेड को निर्देश देने का आग्रह करते हैं, जिससे बाजार स्थिरता और किसान कल्याण का समर्थन किया जा सके।"
उन्होंने कहा कि एमएसपी खासकर सरसों की कटाई के मौजूदा मौसम में बड़ी चिंता बनी हुई है। सरसों के बीज की मौजूदा बाजार कीमतें 5,650 रुपये के एमएसपी से नीचे हैं, जिससे तत्काल सरकारी दखल की जरूरत है।
झुनझुनवाला ने कहा कि चालू सत्र के दौरान रकबा 100 लाख हेक्टेयर के शिखर पर पहुंचने के बावजूद कीमतों में गिरावट के कारण सरसों की खेती में स्थिरता का सामना करना पड़ रहा है।