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डिप्टी CM के क्षेत्र में अवैध शराब की बिक्री चरम पर…शांति समिति की बैठक रही औपचारिक… पत्रकारों और नेताओं का दिखा आक्रोश…नदारद रहे जिम्मेदार…

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मुंगेली/ भ्रष्टाचार और नशाखोरी के खिलाफ अभियान चला भाजपा सत्ता में काबिज हुई, और मुंगेली जिले के निवासी लोकप्रिय बिलासपुर सांसद और तत्कालीन पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया जो मुंगेली जिले के ही हैं, पर सबसे शर्मनाक बात यह हैं कि उपमुख्यमंत्री अरुण साव के गृहजिले में अवैध शराब की बिक्री चरम सीमा पर हैं, यह बात मुंगेली की जनता कह रही हैं, मुंगेली शहर की जनता अवैध शराब की बिक्री और नशाखोरी से बेहद परेशान है, मुंगेलीवासियों ने बताया कि आज मुंगेली शहर के गली मोहल्लों में जमकर नशाखोरी और अवैध शराब की बिक्री चरम सीमा पर हैं उसके बावजूद जिला और पुलिस प्रशासन कोई कार्यवाही नहीं कर रही हैं बल्कि आंकड़े दिखाने औपचारिक कार्यवाही कर रही हैं।

हाल ही में आज पुलिस कंट्रोल रूम में शांति समिति की बैठक आयोजित की गई थी जहां केवल एसडीएम और एसडीपीओ सहित पत्रकार, नेतागण और नागरिक उपस्थित थे, जबकि पहले के शांति समिति के बैठक में जिला और पुलिस प्रशासन के उच्चाधिकारी उपस्थित होते थे, आज की बैठक में होलिका दहन, पानी व्यवस्था, एम्बूलेंस व्यवस्था पर कोई बात नहीं हुई, बल्कि नेताओं और पत्रकारों द्वारा अवैध शराब का मुद्दा जमकर उठाया गया, साथ ही उनके द्वारा चिन्हांकित जगहों और नामों का उल्लेख भी सबकी सहमति से किया गया, पर बैठक में गंभीरता नहीं दिखी, साथ ही नेताओं, नागरिकों और पत्रकारों ने बताया कि अवैध शराब की बिक्री से ही दुर्घटना और अपराध घटित होते हैं जिस पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी हैं, बैठक में उपस्थित नेताओं, जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों ने कहा कि पहले की बैठक में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के उच्चाधिकारियों की उपस्थिति रहती थी, पर आज के शांति समिति के बैठक में उनकी उपस्थिति नहीं दिखी, साथ ही नगर पालिका और जिला हॉस्पिटल के प्रतिनिधि भी अनुपस्थित रहे, ऐसे में इस मीटिंग का क्या औचित्य ?
बहरहाल उपमुख्यमंत्री अरुण साव को अपने गृहजिले में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता हैं, क्योंकि मुंगेली की जनता की माने तो यहाँ नशाखोरी और अवैध शराब की बिक्री बहुत ज्यादा हैं ऐसे में भाजपा शासन की ही बदनामी ही रही हैं, बैठक में जनप्रतिनिधियों और नेताओं ने यहाँ तक कहा कि अवैध शराब बेचने वालों की शिकायत करने पर उन्हें नामजद बता दिया जाता हैं कि किसने शिकायत की हैं
अब देखना यह हैं कि जिला और पुलिस प्रशासन के उच्चाधिकारियों द्वारा नशाखोरी और अवैध शराब की बिक्री पर क्या कार्यवाही की जाती हैं ?