पीलीभीत
भारतीय जनता पार्टी ने यूपी में अभी तक 51 सीटों पर ही अपने प्रत्याशियों का ऐलान किया है। 23 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा अभी बाकी है। छह सीटें सहयोगी दलों को दे रखी हैं। पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी को पार्टी इस बार टिकट देगी या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है। इस बीच बताया जा रहा है कि वरुण गांधी के प्रतिनिधि दिल्ली से पीलीभीत आए थे। उन्होंने 4 सेट नॉमिनेशन पेपर खरीदा और वापस दिल्ली चले गए। सूत्रों का दावा है कि बीजेपी से टिकट न मिलने की स्थिति में वरुण गांधी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पर्चा दाखिल कर सकते हैं।
चर्चा है कि प्रदेश स्तर के सभी बीजेपी नेताओं ने कोर कमेटी की बैठक में इस बार पीलीभीत से वरुण गांधी को टिकट दिए जाने का विरोध किया है। पीलीभीत में पहले चरण में वोटिंग है। इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया 20 मार्च से शुरू हो गई है। अभी तक इस सीट से न तो बीजेपी और न ही सपा ने कोई प्रत्याशी उतारा है। पिछले कई सालों से वरुण गांधी अपनी ही पार्टी और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। इसके चलते उन्हें दोबारा टिकट नहीं देने की आशंका जताई जा रही है।
अखिलेश की बैठक में वरुण के नाम पर हुई चर्चा
चर्चा यह भी है कि अखिलेश यादव इस बार वरुण गांधी को सपा उम्मीदवार के तौर पर पीलीभीत में उतार सकती है। पीलीभीत के सपा जिला अध्यक्ष जगदेव सिंह जग्ग ने बताया कि अखिलेश यादव के साथ हुई बैठक में अन्य प्रत्याशियों के साथ ही वरुण गांधी के नाम पर भी चर्चा हुई। हालांकि जब इस बारे में अखिलेश यादव से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह बीजेपी का मामला है कि वह किसे टिकट देती है और किसे नहीं। हमारी कमेटी हर चीज पर विचार करती है।
3 साल से बीजेपी के खिलाफ खोले हुए हैं मोर्चा
गौरतलब है कि वरुण गांधी ने बीते 3 सालों से जनहित से जुड़े तमाम मामलों पर अपने ही पार्टी की जमकर मुखालफत की है। हालांकि बीते दिनों पीएम मोदी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान वह अन्य बीजेपी नेताओं के साथ मंच साझा करते नजर आए। इस कार्यक्रम में वरुण गांधी ने पीएम मोदी की तारीफ भी की थी।
पर्चा खरीदने पहुंचे निजी सचिव
बुधवार को नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही वरुण गांधी के निजी सचिव कमलकांत नामांकन पत्र खरीदने पहुंचे। इस दौरान वरुण गांधी के कार्यालय सचिव दीपक पांडे और अधिवक्ता एम आर मालिक भी मौजूद रहे। वरुण गांधी ने नामांकन पत्र खरीदवाकर कहीं न कहीं यह संदेश दिया है कि वह पीलीभीत से ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
बीजेपी हाई कमान की बेरुखी?
इसकी बड़ी वजह यह हो सकती है कि वरुण गांधी ने पिछले कुछ वर्षों में पार्टी लाइन से हटकर बयान दिए थे और खुद को एक नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करने के संकेत दिए थे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनका यह आक्रामक रुख और शक्ति प्रदर्शन बीजेपी हाई कमान को पसंद नहीं आया था। वरुण गांधी ने कई बार राज्य की योगी और केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ भी बयान दिए थे, जो कि उन्हें विवादों में ला चुके हैं और बीजेपी हमेशा ही अपने ऐसे नेताओं से दूरी बना लेती है जो कि पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाते रहे हैं। इससे पहले भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के साथ भी बीजेपी ने ऐसा ही किया था।
किसे मिल सकता है पीलीभीत से मौका
वरुण गांधी के विवादित व्यक्तित्व के चलते सूत्र बताते हैं कि उनका टिकट बीजेपी इस बार काट सकती है। वहीं खास बात यह भी है कि पार्टी कांग्रेस से ही आए एक चेहरे को पीलीभीत से अपना लोकसभा प्रत्याशी बना सकती है, जो कि जितिन प्रसाद हैं। प्रसाद फिलहाल यूपी की योगी सरकार में मंत्री पद पर हैं और खबरें हैं कि पार्टी उन्हें लोकसभा भेज सकती है। वरुण गांधी की तरह जितिन प्रसाद भी एक युवा चेहरा माने जाते हैं। इसके अलावा सूत्रों का कहना है कि इस सीट से संजय गंगवार का नाम भी सामने लाया जा सकता है।
संशय के बीच तेवरों में आई थी नरमी
एक तरफ जहां वरुण गांधी की सीट कन्फर्म होने को लेकर संशय है तो दूसरी ओर चुनाव से पहले उनके रुख में कुछ नरमी आई थी। बीते कुछ वक्त में वे ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। पीएम मोदी की तारीफ करने से लेकर एक्स पर उनके पोस्ट को रीपोस्ट कोट करते भी नजर आए थे। उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट में यह भी लिखा था कि सत्य को बेशक थोड़ा इंतजार करकना पड़े, मगर अंततः जीत सत्य की ही होगी।
निर्दलीय उतरने की भी है चर्चा
जब वरुण गांधी द्वारा नाराजगी के संकेत दिए गए थे कि वे बीजेपी से नाराज हैं तो यह भी चर्चाएं थी कि वे बीजेपी छो़ड़ सपा भी जॉइन कर सकते हैं। 2022 के विधानसभा संचुनाव के दौरान भी उनके बीजेपी छोड़ने के आसार थे। पूर्व सीएम और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा था कि उनके आने या न आने को लेकर हमारा संगठन फैसला लेगा। वरुण गांधी को लेकर सियासी हलकों में ये भी चर्चाएं हैं कि वे अमेठी लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव भी लड़ सकते हैं।
गौरतलब है कि पीलीभीत सीट से वरुण गांधी की मां और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी सांसद हैं और 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने वाले वरुण गांधी ने जीतकर अपनी छवि एक फायरब्रांड नेता की बना ली थी और 2014 समेत 2019 में धमाकेदार जीत दर्ज की थी।