पटना.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ देशभर के विपक्षी दलो को लेकर बने इंडी गठबंधन ने मुंबई में रविवार को मंच से एकजुटता का जो शक्ति प्रदर्शन किया, उससे ज्यादा चर्चा महागठबंधन के अंदर सोमवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की रहेगी। बिहार में एनडीए का कुनबा टूटे, इसके इंतजार में महागठबंधन की सीटें नहीं बंट रहीं। आज उस इंतजार का फल शायद देर रात तक सामने आए या फिर मंगलवार दोपहर तक तो सुबकुछ किसी भी हालत में साफ हो जाएगा। एनडीए कुनबा बढ़ाने की तैयारी में है और महागठबंधन को उम्मीद है कि यह टूटेगा।
फैसला दिल्ली में होगा। बिहार की 40 लोकसभा सीटों के बंटवारे के लिए एनडीए की दिल्ली में बैठक हो रही है। इस बैठक के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार की शाम करीब पौने सात बजे दिल्ली रवाना होंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब विपक्षी एकता के सूत्रधार थे तो वहां जून 2023 से ही सीट बंटवारे की बात लगातार कह रहे थे। अब 17 मार्च 2024 गुजर गया। 16 मार्च को तो भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तारीखें तक घोषित कर दीं, लेकिन इंडी एलायंस को एकजुट करते-करते अचानक पुराने घर एनडीए में आए सीएम नीतीश कुमार अबतक यहां सीट बंटवारे को फाइनल नहीं करा सके हैं। इसी सिलसिले में वह सोमवार को शाम दिल्ली जा रहे हैं। वैसे जदयू 2019 लोकसभा चुनाव के हिसाब से 16 सीटों को लेकर आश्वस्त है और भाजपा भी 17 सीटों पर तैयारी कर रही है, लेकिन शेष घटक दलों के बीच सीट बंटवारे के कारण असहज स्थिति को देखते हुए एक फाइनल बैठक बुलाई गई है। बैठक में पूरा फॉर्मूला तय करना है, लेकिन बताया जा रहा है कि पहले दो-तीन चरणों के लिए सीट घोषित कर मामले को लटकाया भी रखा जा सकता है। एनडीए के घटक दलों के टूटने-बिखरने की आशंका को महागठबंधन अपने लिए संभावना के रूप में देख रहा है, इसलिए इस तरह का फैसला लिया जा सकता है।
क्यों मची रार कि यह बैठक बुलाई गई
अगर केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने बिहार में प्रेस कांफ्रेंस कर यह नहीं कहा होता कि उनकी किसी से बात नहीं हुई है और वह हाजीपुर सीट से ही चुनाव लड़ेंगे तो सोमवार की बैठक के बगैर भी एनडीए में सीटों पर घोषणा हो सकती थी। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने अपने लिए पांच सीटों पर हरी झंडी मिलने की बात कह पारस को ऐसी बात कहने के लिए एक तरह से मजबूर कर दिया। दूसरी तरफ 17 भाजपा, 16 जदयू, पांच सीटें चिराग को मिलने की स्थिति में बाकी घटक दलों के बीच ऊहापोह की स्थिति बन गई। इसी कारण एनडीए ने अब यह बैठक बुलाकर दूध का दूध और पानी का पानी करने का फैसला किया है।
पारस, मांझी, कुशवाहा के लिए घोषणा पर नजर
सोमवार रात से मंगलवार दोपहर तक जिस बैठक की दिल्ली में चर्चा चल रही है, उसमें मूल रूप से पशुपति कुमार पारस की लोक जनशक्ति पार्टी (राष्ट्रीय), उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा और जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर के लिए एनडीए के प्लान को सामने आना है। यह तीनों भी एनडीए के मौजूदा घटक हैं। इसमें कुशवाहा दो सीटें मांग रहे थे। मांगने को मांझी भी मांग रहे हैं और पारस को तो चाहिए ही चाहिए। ऐसे में अगर भाजपा 17, जदयू 16 सीटें रख ले तो बाकी सात सीटों में चिराग पासवान को संतुष्ट करते हुए इन तीनों के बीच बांटना आसान काम नहीं है। ऐसे में भाजपा ने इसके बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में इन दलों को संतुष्ट करने की योजना पर काम कर रही है। इसके अलावा, अनुभवी-बुजुर्ग नेता के लिए राज्यपाल का ऑफर संभव है।
वीआईपी के मुकेश सहनी को क्या मिलेगा
एनडीए के अंदर संकट की वजह नए साथियों की एंट्री से भी है। मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी ने अबतक फैसला नहीं लिया है कि वह किधर है। सहनी भाजपा के साथ पिछले विधानसभा चुनाव में जुड़कर फिर निकल चुके हैं। इस बार भी उनकी एंट्री की बात लगभग फाइनल स्थिति में है, लेकिन लोकसभा सीट बंटवारे से लेकर विधानसभा तक की प्लानिंग में उन्हें क्या मिलेगा, इसपर ही अंतिम फैसला रुका हुआ है। पारस, मांझी, कुशवाहा के साथ सहनी को लेकर भी सामने महागठबंधन इंतजार में बैठा है।