नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा कि इतिहास की सबसे भीषण महामारी से मानवता जूझ रही है। अभी भी यह महामारी खत्म नहीं हुई है और विषाणु, मनुष्य से एक कदम आगे दिख रहा है। अब तक विश्व ने विज्ञान और वैश्विक साझेदारी में अपना विश्वास रखकर इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आगे कहा कि महामारी मानवता को सार्वभौमिक रूप से प्रभावित करती है, लेकिन यह भी देखा गया है कि समाज के कमजोर वर्गों पर इसका भयानक प्रतिकूल असर होता है। इस संबंध में, स्पष्ट चुनौतियों के बावजूद भारत टीके की नि:शुल्क और सार्वभौमिक उपलब्धता की नीति अपनाकर लाखों लोगों की जिंदगी बचाने में सफल रहा है। इतिहास में सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के माध्यम से सरकार लगभग एक अरब (100 करोड़) लोगों को वायरस से सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम रही है। उन्होंने डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और अन्य सभी कोरोना योद्धाओं
की लोगों के जीवन के अधिकार व स्वास्थ्य के अधिकार को बनाए रखने के उनके वीरतापूर्ण प्रयासों की प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने कहा कि इस अदृश्य शत्रु के साथ लड़ाई में हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। अधिक मुश्किल की कुछ समय के दौरान, उस परिस्थिति से निपटने के लिए सरकारी संस्थानों ने अपना सबसे बेहतर देने की पूरी कोशिश की, जिसके लिए कोई भी तैयारी पर्याप्त नहीं हो सकती थी।