नई दिल्ली
भारत में मौसम विभाग ने इस साल अधिक गर्मी पड़ने की चेतावनी जारी की है। इस बीच एक राहत भरी खबर आई है। इसके मुताबिक भारतीय मौसम पर इस बार अल नीनो का असर नहीं होगा। प्रशांत महासागर में सक्रिय अल नीनो के अगले कुछ महीनों में खत्म होने की संभावना है। ऐसे में इस साल भारतीय मॉनसून के शुरुआती दौर पर इसका बहुत कम असर होगा। अल नीनो को लेकर रिपोर्ट जारी करने वाली एक अमेरिकी संस्था ने यह जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि अप्रैल और जून के बीच अल नीनो की स्थिति बने रहने की उम्मीद है। इसके बाद ला नीना उभरने की संभावना है।
क्या है अल नीनो, ला नीना
अल नीनो और ला नीना दो फेजेज हैं जो पूर्वी प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में होने वाले बदलाव को दर्शाते हैं। यह मौसमी घटना दक्षिणी अमेरिकी तट पर होती है, जिसमें समु्द्र का पानी अप्रत्याशित रूप से ठंडा या गर्म हो जाता है। इसका असर पूरी दुनिया के तापमान पर पड़ता है। अल नीनो फेज के चलते भारत में मॉनसून के दौरान बारिश में कमी आने की आशंका रहती है। वहीं ला नीना इसके विपरीत असर डालता है।
ऐसा है भारत के लिए अनुमान
गौरतलब है कि भारत में मई तक तापमान औसत से अधिक रहने का अनुमान है। भारतीय मौसम विभाग ने हाल ही में इसको लेकर अनुमान जताया था। इसमें बताया गया है कि मार्च से लेकर मई तक देश के अधिकांश हिस्सो में मैक्सिमम के साथ-साथ मिनिमम तापमान भी सामान्य से अधिक रह सकता है। अगले महीने आईएमडी इस साल के मॉनसून सीजन का पहला दीर्घावधि पूर्वानुमान जारी करने वाला है। 2015 के बाद से, मॉनसून के दौरान 2018 को छोड़कर बारिश हर साल सामान्य रही है।