- गौ-संरक्षण के साथ ही डिंडोरी जिले को “एनिमल फ्रेंडली” जिला बनाने पर जोर दिया जाए राम रघुवंशी सदस्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड
- जीव जंतु कल्याण की बैठक संपन्न
डिंडौरी
गुरुवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य राम रघुवंशी की अध्यक्षता में बैठक संपन्न हुई। उक्त बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष रुद्रेश परस्ते, जिला पंचायत सीईओ सुश्री विमलेश सिंह, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जगन्नाथ मरकाम, एसडीएम डिंडोरी रामबाबू देवांगन सहित पशु पालन विभाग, मत्स्य विभाग, उद्यानिकी विभाग, विद्युत विभाग, पीएचई विभाग और अन्य विभागों के अधिकारी के साथ एनजीओ संचालक, गौशाला संचालक और अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
जीव जंतु कल्याण की बैठक का विषय जीव जंतुओं के जन्मदर नियंत्रण कार्यक्रम था। जिसमें जिले की गौशालाओं के संबंध में जानकारी लेते हुए गौ संरक्षण के साथ साथ इन क्षेत्रों में आने वाली समस्याओं के लिए समाधान खोजने पर जोर दिया गया। जिले के सभी विकासखंडों में कुल 10 गौशालाएं संचालित हैं जिनमें से 3 एनजीओ और 7 शासन द्वारा संचालित हैं। अधिकारियों ने जिले के गौवंश की जानकारी प्रदान की।
राम रघुवंशी ने निराश्रित गौवंशों को गौशालाओं में पहुंचाने की सलाह दी और सुझाव दिया कि खाली गौशालाओं को भरा जाये। लोकल फॉर वोकल का सुझाव देते हुए रघुवंशी जी ने गौवंश चिन्हित करने की प्रक्रिया बताते हुए कहा कि गौशाला और गोपाल के आधार पर गौवंशों को चिन्हित किया जाए। गौशालाओं के गौवंशो के सींगों को लाल रंग से और गोपाल के गायों के सींगों कों हरे रंग से पेंट कर वर्गीकृत करने से गोवंश का प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है।
जिला पंचायत सीईओ के माध्यम से इस कार्य कों पूरा किया जाये, जिससे गौवंश की गणना भी हो जायेगी और निराश्रित गौवंशो की पहचान की जा सकेगी। बैठक में श्री राम रघुवंशी ने कहा कि नंदी गौशाला पृथक रूप से बनाएं, जिससे गौवंशों की नस्लों की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकेगा।
राम रघुवंशी ने कहा कि उन स्व-सहायता समूहों को ही गौशाला का कार्य सौंपे जो उचित रूप से कार्य कर सकें। सभी गौशालाओं को कांजी हाउस का दर्जा भी जिला कलेक्टर के निर्देश से दे सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर ग्राम पंचायत की सहायता से एनजीओ को भी गौशाला सौंपी जा सकती है। किंतु इन सभी कार्यों में गौ संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए नवाचार करने कहा है। उन्होंने बताया कि गौशालाओं के लिए 3 आवश्यकताएं होती हैं :- चारा, बिजली-पानी और मानव संसाधन। आवश्यकता पूर्ति के लिए प्रशासन चारागाह की भूमि को चिन्हित कर चारे की व्यवस्था कर सकता है। जरूरत के अनुसार बिजली के लिए सौर ऊर्जा की व्यवस्था करें। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए की गौशाला के लिए कृषि या घरेलू बिजली कनेक्शन ही दें। इसी प्रकार से मानव संसाधन की आवश्यकता पूर्ति के लिए वृक्ष प्रहरी को ही गौ प्रहरी बनाएं और गौशालाओं में पौधारोपण भी कराए जाएं।
राम रघुवंशी ने बताया कि गौधन के लिए मिलने वाली राशि का प्रयोग संबंधित अधोसंरचना के लिए भी किया जा सकेगा। गौशाला को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करें।गौ संवर्धन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि जिला प्रशासन और नागरिक सहभागिता कों सुनिश्चित किया जाये।
इस दौरान एसपीसीए एक्ट, बंधीयकरण अभियान और एबीसी प्रक्रिया (पशु नसबंदी) की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इसके लिए सीएमओ नगर परिषद और पशुपालन विभाग को समन्वयपूर्ण कार्य करने कहा गया है। स्ट्रीट डॉग्स पर नियंत्रण करना आवश्यक है, जिससे डॉग बाइट के मामलों में कमी आ सके। इसके बचाव के लिए शत-प्रतिशत रेबीज टीकाकरण के लक्ष्य को प्राप्त किया जाए।
रघुवंशी ने पुलिस विभाग को गौवंश की तस्करी करने पर रासुका लगाने की सलाह दी है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने अधिकारियों से कहा कि डिंडोरी को एनिमल फ्रेंडली जिला बनाने पर जोर दिया जाए। राम रघुवंशी ने जिले में संचालित 12 पशु चिकित्सालयों के बारे में जानकारी ली। अधिकारियों ने उक्त संबंध में बताया कि कलेक्टर विकास मिश्रा के निर्देशन में जिले में प्रति शनिवार को रेवा कैंप के तहत पशुपालन के संबंध में बेहतर कार्य किया जा रहा है।
उक्त बैठक में मत्स्य विभाग के बारे में विस्तृत संवाद करते हुए बताया गया कि जिले में कुल 1097 ग्रामीण तालाब और 22 अमृत सरोवर व सिंचाई जलाशय 80 हैं, जिनमे मछली पालन का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिले में मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं हैं। जिले में मत्स्य पालन के माध्यम से पलायन की समस्या को कम किया जा सकता है। इसलिए इस क्षेत्र में बेहतरी से कार्य करना आवश्यक है।
बैठक के अंत में राम रघुवंशी ने जीव जंतु कल्याण के क्षेत्र में बेहतर तरीके से कार्य करने के लिए जिला प्रशासन की प्रशंसा करते हुए बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया जाए।