नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून लागू कर दिया है। इसके साथ ही देश के कई हिस्सों में इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन भी शुरू हो चुका है। 2019-20 में CAA के खिलाफ हुए विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत कई शहरों में सुरक्षा और मुस्तैदी बढ़ा दी है। इस बीच, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन बेरलवी ने CAA का स्वागत किया है और इसे देर से ही सही लेकिन एक दुरुस्त फैसला करार दिया है।
एक वीडियो संदेश में मौलाना शहाबुद्दीन बरेलवी ने मुसलमानों से नहीं डरने की अपील की है और कहा है कि इस कानून से किसी भी मुसलमान की नागरिकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, "ये कानून बहुत पहले लागू हो जाना चाहिए था। खैर, देर आए, दुरुस्त आए।" बरेलवी ने इस कानून की बारीकियों को समझाते हुए कहा कि देश में रह रहे मुसलमानों की नागरिकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
बरेलवी ने कहा कि जो लोग डर रहे हैं या जिन लोगों को इस कानून को लेकर गलतफहमियां हैं, वे सभी बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा, "इस कानून का मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले गैर-मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने के लिए कोई कानून नहीं था, जिन्हें धर्म के आधार पर अत्याचार का सामना करना पड़ा था लेकिन ऐसे गैर मुस्लिम शरणार्थियों को अब नागरिकता मिल सकेगी और उन्हें अत्याचार से मुक्ति भी मिल सकेगी।"
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष ने कहा कि यह कानून देश के किसी भी मुस्लिम की नागरिकता नहीं छीनने वाला है। पिछले वर्षों में देखा गया है कि विरोध प्रदर्शन हुए थे, ऐसा गलतफहमियों की वजह से हुआ था। कुछ राजनीतिक लोगों ने मुसलमानों के बीच गलतफहमियां पैदा कीं थीं। उन्होंने कहा कि भारत के हर मुसलमान को सीएए का स्वागत करना चाहिए।
क्या है ऑल इंडिया मुस्लिम जमात?
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात एक गैर सरकारी धार्मिक संगठन है, जो सुन्नी इस्लाम के बरेलवी आंदोलन से जुड़ा है। इसकी स्थापना 17 सितंबर 2022 को अहमद रज़ा खान बरेलवी के 104वें उर्स-ए-रज़वी के मौके पर बरेली में की गई थी। शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी इसके अध्यक्ष हैं। सुन्नी-सूफ़ी बरेलवी विचार के प्रचारक और मुस्लिम स्कॉलर मौलाना शहाबुद्दीन को सितंबर 2022 में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था। यह संगठन PFI (पॉपुलर फ्रन्ट ऑफ इंडिया) पर भारत सरकार द्वारा लगाए गए बैन का समर्थन कर चुका है। जमात ने पीएफआई को एक कट्टरपंथी संगठन करार दिया था। बरेलवी ने पिछले साल यह भी कहा था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ अपने उद्देश्यों से बटक चुका है। बरेलवी हिन्दू-मुसलमान भेदभाव और मुस्लिमों को डराने वाली राजनीति का भी विरोध करते रहे हैं।