नई दिल्ली
भारत ने मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल तकनीक के साथ घरेलू स्तर पर विकसित अग्नि-V मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। इसे मिशन दिव्यास्त्र नाम दिया गया और ये परीक्षण ओडिशा स्थित डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड पर किया गया। भारत के लिए ये परीक्षण एक अहम सफलता है। वहीं भारत से हथियारों की होड़ करने की कोशिश करते दिखने वाला पाकिस्तान तीन साल पहले इसी तरह की मिसाइल के टेस्ट में फेल हो चुका है। पाकिस्तान ने 2.750 किमी शाहीन III मिसाइल का उपयोग करके मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक विकसित करने का प्रयास किया था, जिसमें वारहेड दो किलोमीटर की दूरी तक जमीन पर मार करता था। डीआरडीओ के शीर्ष अधिकारियों के अनुसार इसके टेस्ट में पाकिस्तान पूरी तरह से फेल रहा।
पाकिस्तान और चीन अग्नि-5 परीक्षण का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए करेंगे कि इस्लामाबाद भारत के साथ विखंडनीय सामग्री कट-ऑफ संधि (एफएमसीटी) पर हस्ताक्षर न करे। हालांकि अग्नि-5 एमआईआरवी विस्तारवादी चीन को रोकने में भी मददगार होगी, जो 1950 में क्रूर बल का उपयोग करके तिब्बत पर सैन्य कब्जा करने के बाद कुछ भारतीय क्षेत्रों पर भी नजर जमाए हुए है। भारत की ओर से 7 मार्च परीक्षण के लिए एनओटीओएम जारी करने के बाद चीनी सेना ने 7-8 मार्च की रात को मलक्का जलडमरूमध्य को पार करने के साथ अग्नि वी परीक्षण की निगरानी के लिए अपने दो जासूसी जहाजों को तैनात किया था।
क्यों खास है अग्नि-5 मिसाइल
सोमवार शाम को भारत ने तीन एमआईआरवी के साथ अग्नि-V मिसाइल का 3000 किमी से अधिक दूरी तक परीक्षण किया। इस मिसाइल की मारक क्षमता 5000 किमी है। यह एमआईआरवी यानी मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल टेक्नोलॉजी से लैस है। इसे एक साथ कई टारगेट्स पर लॉन्च किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस कामयाबी पर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
देसी ‘अग्नि-5’ मिसाइल देगी चीन-पाकिस्तान को टक्कर, आत्मनिर्भर भारत की तरफ एक और कदम
अग्नि-5 भारत की पहली और एकमात्र इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने बनाया है। अग्नि- 5 बैलिस्टिक मिसाइल एक साथ कई हथियार ले जाने में सक्षम है। ये करीब डेढ़ टन तक न्यूक्लियर हथियार अपने साथ ले जा सकती है। इसकी स्पीड आवाज की गति से 24 गुना ज्यादा है। एमआईआरवी तकनीक सबसे पहले अमेरिका ने 1970 में विकसित की थी। अमेरिका और सोवियत संघ ने सबसे पहले इस तकनीक से लैस मिसाइलें बनाई थीं। अब भारत भी इस तकनीक से लैस मिसाइल रखने वाले देशों की लिस्ट में आ गया है।
क्या है अग्नि-5 मिसाइल और एमआईआरवी तकनीक?
- अग्नि-5 मिसाइल की मारक क्षमता पाँच हज़ार किलोमीटर है. यानी ये पांच हज़ार किलोमीटर दूर के लक्ष्य को निशाना बना सकती है.
- समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, लंबे वक़्त तक के लिए भारत की सुरक्षा ज़रूरतों के मद्देनज़र अग्नि-5 अहम है.
- अग्नि-5 की रेंज में लगभग पूरा एशिया, चीन के अंतिम उत्तरी क्षेत्र और यूरोप के भी कुछ हिस्से रहेंगे.
- इससे पहले की मिसाइलें अग्नि-1 से अग्नि-4 की रेंज 700 से 3500 किलोमीटर ही था.
- अग्नि-5 में ऐसे सेंसर लगे हैं, जिससे वो अपने लक्ष्य तक बिना किसी ग़लती के पहुंच जाते हैं.
- अग्नि मिसाइलें भारत के पास साल 1990 से हैं. वक़्त के साथ इसके नए और ज़्यादा आधुनिक रूप सामने आते रहे हैं.
- इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, अग्नि-5 मिसाइल में जो एमआईआरवी तकनीक है, उसे 50 साल पहले बनाया गया था मगर अभी तक ये तकनीक कुछ ही देशों के पास है.
अग्नि-5 में परमाणु हथियार भी ले जाए जा सकते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी तक एमआईआरवी तकनीक से लैस मिसाइलें रूस, चीन, अमेरिका, फ्रांस और यूके के पास हैं. इन मिसाइलों को ज़मीन या समंदर में खड़ी पनडुब्बी से लॉन्च किया जा सकता है.
पाकिस्तान ऐसा मिसाइल सिस्टम बनाने की कोशिश कर रहा है. संदेह जताया जाता है कि इसराइल के पास ये मिसाइल सिस्टम है या वो इसे विकसित कर रहा है.
सेंटर फोर आर्म्स कंट्रोल एंड नॉन प्रोलिफेरेशन के मुताबिक़, एनआईआरवी तकनीक को विकसित करना बेहद मुश्किल है, इसी कारण ये सभी देशों के पास नहीं है. इसे विकसित करने के लिए बड़ी मिसाइलें, छोटे वॉरहेड, सही गाइडेंस और फ्लाइट के दौरान वॉरहेड को रिलीज़ किए जाने की ज़रूरत होती है.
अमेरिका के पास ये तकनीक 1970 में थी और सोवियत संघ ने भी इसके बाद ये तकनीक हासिल कर ली थी. भारत इस क्लब का नया देश बन गया है.