रायपुर। रायपुर कोर्ट ने प्रतिबंधित सिमी और इंडियन मुजाहिदीन के टेरर फडिंग मामले में बडा फैसला सुनाया है। संगठन से जुडे चार आरोपियो को दोषी करार देते हुए 10-10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। आपको बता दे कि प्रतिबंधित संगठन सिमी और इंडियन मुजाहिदीन के लिए आरोपी धीरज साव, पप्पू मंडल समेत सुखेन हलधर ने रायपुर, बिहार और पश्चिम बंगाल में फर्जी नामो से खाता खुलवाकर पकिस्तान से संगठन के लिए आने वाले पैसो को 13 प्रतिशत कमीशन काटकर ,इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य जुबैर हुसैन और आय़शा खातुन को कर्नाटका में भेजते थे।
राजधानी रायपुर में गिरफ्तार हुए धीरज साव 2011 से से पाकिस्तान के आतंकी खालिद से संपर्क में था और दो सालो से वालिया कॉम्पलेक्स खमतराई में रहकर छत्तीसगढ़ चिकन के नाम से ठेला लगाता था और बैंक के माध्यम से पैसो का आदन प्रदान करता था। आरोपी धीरज साव को एक गुप्त सूचना के बाद खमतराई थाना पुलिस ने 25 दिसंबर 2013 को गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ कि वो बिहार के जमुई का रहने वाला है और नुरीनिशा खान और कुलदीप ओझा के फर्जी परिचय पत्र बनवाकर रायपुर के आईसीआईसीआई बैंक के सरस्वती नगर शाखा में फर्जी अकाउंट खुलवाया है। पाकिस्तान से खालिद नामक युवक उसको पैसे भेजता है और उसमें से 13 प्रतिशत कमीशन युवक उसको पैसे भेजता है। उसमें से 13 प्रतिशत कमीशन काटकर वो पैसा कर्नाटक में रहने वाले जुबैर हुसैन औऱ आयशा बानो को उनके खाते में भेजता था। आरोपी का खाते की जांच की गई तो उसमें पाकिस्तान से आये करीब 25 लाख रूपये जुबैर और आयशा को भेजने का खुलासा हुआ था। पुलिस ने धीरज की निशानदेही पर प्रतिबंधित संगठन इडियन मुजाहिदीन के सक्रीय सदस्य जुबैर हुसैन और आयशा बानो को गिरफ्तार कर रायपुर लाया गया था। आरोपी धीरज साव ने अपने साथी पप्पू मंडल और सुखेन हलधर को भी जमुई बिहार और जिला वर्धमान पश्चिम बंगाल में खाते खुलवाये थे। उसमें भी पाकिस्तान से पैसे आने की प्रमाण मिले थे जिसके बाद रायपुर पुलिस ने पप्पू मंडल औऱ सुखेन हलधर को भी गिरफ्तार कर रायपुर लाई थी। पूरे मामले के खुलासे के बाद से सभी आरोपी रायपुर जेल में थे और लगातार सुनवाई कोर्ट में चल रही थी। बुधवार को दोनो पक्षो की दलील सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत ने चारो आरोपियो धीरज साव, जुबैर हुसैन, आयशा बानो और पप्पू मंडल समेत सुखेन हलधर को दोषी करार मानते हुए 10-10 साल की सजा सुनाई है।