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बच्चों को तेजी से शिकार बना रहा कोरोना, 7 दिन में 1.41 लाख संक्रमित

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स्कूल खुलने के बाद बेकाबू हुआ संक्रमण
वाशिंगटन।
कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित अमेरिका में वायरस अब तेजी से बच्चों को अपना शिकार बनाने लगा है। वायरस का यह रूप दुनिया के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) की रिपोर्ट के अनुसार बीते सप्ताह 11 से 18 नवंबर के बीच 1,41,905 बच्चों में संक्रमण की पुष्टि हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों में संक्रमण की गति में बीते दो सप्ताह की तुलना में 32 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में बीते सप्ताह मिले संक्रमण के एक तिहाई मामले बच्चों से जुड़े हुए हैं। अमेरिका में बच्चों की आबादी 22 फीसदी है। महामारी की चपेट में तीन फीसदी से कम बच्चे आए हैं, इस अनुसार 68 लाख से अधिक बच्चे संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं।
एएपी की रिपोर्ट के मुताबिक, संक्रमण के कारण बच्चों में मौत की दर बेहद कम है। कोरोना से छह अमेरिकी राज्यों में एक भी बच्चे की मौत नहीं हुई है। बच्चों में संक्रमण के सामान्य लक्षण दिख रहे हैं। हल्के बीमार हो रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों को समय-समय पर इंफ्लूएंजा, मेनिनजाइटिस, चिकनपॉक्स और हेपेटाइटिस का टीका लग रहा है, जो उनके इम्युन को मजबूत बनाता है।
अक्तूबर में 172 बच्चों की मौत
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार अक्तूबर में 5 से 11 वर्ष के 8300 बच्चे संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती हुए। इसमें से 172 ने दम तोड़ दिया।
सीडीसी ने कहा है कि महामारी की तेज गति के बीच 2300 स्कूलों को बंद किया गया, जिससे 12 लाख बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई। अब स्कूल खुलने के साथ ही संक्रमण बेकाबू होने लगा है, जो आने वाले समय के लिए चेतावनी है।
भारत में भी बच्चों में बढ़ा संक्रमण
भारत में कोरोना की रफ्तार भले धीमी है, पर बच्चों में संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं। ओडिशा के स्कूल में 53 बच्चियों के साथ 22 एमबीबीएस छात्रों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। जयपुर के जयश्री पेरिवाल इंटरनेशनल स्कूल के बारह बच्चे मंगलवार को संक्रमित हुए हैं। वहीं, 17 नवंबर को ढाई साल के बच्चे की संक्रमण से मौत हो गई थी। गुजरात में 18 महीने में 0 से 14 वर्ष के 19 हजार बच्चे संक्रमित हुए हैं।
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्सियश डिजीज के निदेशक डॉ. एंथनी फौसी माना कि हाल के दिनों में संक्रमण की दर हर उम्र के बच्चों में बढ़ रही है, जो चिंताजनक स्थिति है।
डॉ. एंथनी फौसी का कहना है कि हमारे आसपास कई तरह के वायरस घूम रहे हैं। बच्चों को लेकर सबसे ज्यादा सावधानी बरतनी होगी अन्यथा हालात एक बार फिर से बिगड़ सकते हैं।
एएपी की रिपोर्ट के अनुसार वयस्कों की तुलना में संक्रमित बच्चों को अस्पताल में भर्ती होने की नौबत कम आ रही है। राज्यों के आंकड़ों पर गौर करें तो संक्रमण की चपेट में आने वाले बच्चों में से 1.7 से 4.0 फीसदी बच्चों को अस्पताल में इलाज की जरूरत पड़ रही है। हालांकि, संक्रमण की गति बढ़ने पर भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ सकती है।