नई दिल्ली
भारत अपनी नीतियों को अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनी टेस्ला के हिसाब से नहीं बनाएगा। देश के कानून और शुल्क संबंधी नियम सभी इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माताओं को आकर्षित करने के लिए तैयार किए जाएंगे। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यह बात कही है। टेस्ला भारत में आने से पहले एक शुरुआती शुल्क रियायत मांग रही है। इससे उसे 40,000 अमेरिकी डॉलर से कम कीमत वाली कारों के लिए 70 प्रतिशत सीमा शुल्क और अधिक मूल्य की कारों के लिए 100 प्रतिशत सीमा शुल्क की ‘भरपाई' करने में मदद मिलेगी।
गोयल ने कहा कि सरकार एक मजबूत ईवी पारिस्थितिकी तंत्र की जरूरत को समझती है, क्योंकि बैटरी से चलने वाले वाहनों के अधिक उपयोग से कार्बन उत्सर्जन के साथ-साथ कच्चे तेल के आयात बिल में भी कटौती होगी। उन्होंने साथ ही जोड़ा कि इसके लिए सरकार ऐसी नीतियां नहीं बनाएगी, जो किसी एक कंपनी के लिए फायदेमंद हों, बल्कि ऐसी नीतियां तैयार की जाएंगी, जो दुनिया के सभी इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माताओं को भारत में आने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कई पहल पर काम जारी है, और अंतर-मंत्रालयी परामर्श तथा हितधारकों के साथ बातचीत की जा रही है। उन्होंने कहा कि यूरोप, अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और दुनियाभर के संभावित निवेशकों के साथ भी संवाद चल रहा है।
भारत में मोटर वाहनों पर उच्च शुल्क लागू है, जिसका मकसद घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है। विदेशी कार विनिर्माताओं के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार किसी एक कंपनी या उसके हितों के लिए नीति नहीं बनाती है। सभी अपनी मांग रखने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार उनकी मांग के आधार पर फैसला करेगी।'' गोयल इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या सरकार भारत में विनिर्माण सुविधा स्थापित करने के लिए टेस्ला को कोई रियायत देने पर विचार कर रही है।