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रिपोर्ट में कहा – पाकिस्तान परमाणु उपकरण का परीक्षण करने के लिए अवसर की तलाश रहा

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इस्लामाबाद
परमाणु शक्ति से संपन्न देश एक तरफ अपने न्यूक्लियर हथियारों को उन्नत कर रहे हैं तो साथ ही नए परीक्षणों की योजना भी बना रहे हैं। इस लिस्ट में कई दूसरे देशों के साथ भारत और पाकिस्तान के भी नाम हैं। बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत-पाकिस्तान जैसे देश भी किसी अन्य परमाणु उपकरण का परीक्षण करने के लिए अवसर की तलाश कर सकते हैं। बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स पत्रिका के ताजा अंक में ये दावा किया गया है। इस पत्रिका की शुरुआत 1945 में अल्बर्ट आइंस्टीन और मैनहट्टन प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों ने की थी। मैनहट्टन प्रोजेक्ट पहले परमाणु बम का डिजाइन और विकास था।

यह रिपोर्ट परमाणु मामलों पर यूरोपीय संसद के वैज्ञानिक सलाहकार और परमाणु सुरक्षा विशेषज्ञ फ्रेंकोइस डियाज मौरिन ने तैयार की है। रिपोर्ट के अनुसार, परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाने वाली अंतरराष्ट्रीय संधि के बावजूद, परमाणु हथियारों के परीक्षण का मुद्दा एक बार फिर केंद्र में है। सैटेलाइट इमेजरी से पता चला है कि दुनिया की तीन सबसे बड़ी परमाणु शक्तियों अमेरिका, रूस और चीन में परमाणु परीक्षण स्थलों पर 2021 के बाद से निर्माण गतिविधियों में वृद्धि हुई है। भारत और पाकिस्तान भी इस ओर देख रहे हैं, जिनके नवीनतम परीक्षण 1998 में किए गए थे और जिन्होंने व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
रिपोर्ट में दावा- परमाणु परीक्षणों की ओर बढ़ेंगे देश

रिपोर्ट कहती है कि भारत और पाकिस्तान ने आखिरी बार मई 1998 में परमाणु परीक्षण किया था। इसके बाद भारत ने आगे के परीक्षण पर रोक की घोषणा कर दी थी लेकिन इसे कई भारतीय परमाणु वैज्ञानिकों ने अनावश्यक और जल्दबाजी में लिया गया कदम माना था। वैज्ञानिकों ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर रोक को किसी भी समय हटाया जा सकता है। बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों का मानना है कि रूस नोवाया जेमल्या में और चीन लोप नूर के अपने परमाणु परीक्षण स्थलों पर भूमिगत सुरंगों का विस्तार कर रहे हैं।

रूस ने पिछले नवंबर में सीटीबीटी की शर्तों से खुद को अलग कर लिया था। अमेरिका में राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा प्रशासन किसी भी भूमिगत परमाणु विस्फोटक परीक्षण करने की आवश्यकता के बिना अमेरिकी परमाणु भंडार के प्रबंधन और प्रदर्शन के लिए नैदानिक क्षमताओं में सुधार करने के लिए नेवादा टेस्ट साइट का विस्तार कर रहा है। इसके साथ-साथ अमेरिका तत्परता की नीति को भी बनाए रखता है। अगर उसका कोई विरोधी ऐसा परीक्षण करता है तो वह छह महीने के भीतर परमाणु परीक्षण करने के लिए तैयार रहता है।

उत्तर कोरिया 21वीं सदी में परमाणु हथियारों का परीक्षण करने वाला एकमात्र देश है, जो एक और भूमिगत परमाणु परीक्षण करने के लिए तैयार है। ऐसा करने के लिए केवल अपने नेता किम जोंग उन के राजनीतिक निर्णय का इंतजार कर रहा है। ईरान ने परमाणु क्लब में शामिल होने के लिए अपनी तकनीकी क्षमता दिखाई है। दक्षिण कोरिया और सऊदी अरब का कहना है कि वे क्षेत्रीय परमाणु खतरों के जवाब में परमाणु हथियार विकसित कर सकते हैं।

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