- पहले काम की तलाश में दिन बीतते थे.. अब घर बैठे रोजाना 700-800 रूपए कमाते हैं दिनेश
- खादी ग्रामोद्योग विकास योजना से मिला सहारा
भोपाल
सफलता की कहानी
दिनेश पैसों से लाचार तो थे, पर उम्मीद की आस उन्होंने छोड़ी नहीं थी। पेट पालने के लिये दिहाड़ी मजदूरी करने वाले ग्वालियर जिले के डबरा के दिनेश मांझी के जीवन में उजाला लेकर आई राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और खादी ग्रामोद्योग विकास योजना।
उद्यमी बनने का सपना दिल में लिये दिनेश बस एक मौके की तलाश में थे, तभी उन्हें उनकी माँ और पत्नी से पता चला, कि खादी ग्रामोद्योग विकास योजना के तहत सरकार छोटे व्यावसायियों को आर्थिक मदद देती है। बस यहीं से दिनेश को राह मिल गई। दिनेश ने खादी ग्रामोद्योग विभाग से सम्पर्क कर विभाग की ओर से आगरा में जूते-चप्पल बनाने की ट्रेनिंग ले ली। जब दिनेश इस काम में पारंगत हो गये, तो उन्हें खादी ग्रामोद्योग विकास योजना से 66 हजार रुपये की शू-मेकिंग मशीन भी मिल गई। इससे दिनेश अब अपने घर से ही डिजाइनर जूते-चप्पल, सैंडल और डॉक-शू बनाने और बेचने लगे। दिनेश की लगन देखकर खादी ग्रामोद्योग आयोग ने उसे एक शू-कम्पनी से जुड़वा दिया। अब दिनेश घर बैठे रोजाना 700 से 800 रुपये कमा रहे हैं। काम की तलाश में दिनेश को अब घर से बाहर भी नहीं जाना पड़ता।
दिनेश लाचारी के उन बुरे दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि केन्द्र और राज्य सरकार ने उनके हुनर को पहचाना और उनका उद्यमी बनने का सपना साकार कर दिया। वे छोटे व्यापारियों के लिये सरकार द्वारा बनाई ऐसी योजना के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ह्रदय से धन्यवाद देते हैं।