वाशिंगटन
इस साल नवंबर में अमेरिका के राष्ट्रपति पद का चुनाव है। वहां प्रेजिडेंशल प्राइमरी चुनावों का दौर चल रहा है। ऐसे में हाल ही में आयोवा, न्यू हैंपशर, नेवादा, दक्षिण कैरोलिना, मिशिगन और मिसौरी में जीत हासिल कर डॉनल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी में नामांकन की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं। रिपब्लिकन पार्टी के भीतर उम्मीदवारी की दौड़ में उनके सामने आखिरी कैंडिडेट निकी हेली हैं, जो लगातार उनसे पिछड़ती जा रही हैं। ट्रंप ने मिसौरी और इडाहो कॉकस में जितनी आसानी से निकी को हराया है वह ज्यादा चौंकाने वाला नहीं है। माना जा रहा है कि जुलाई में होने वाले पार्टी के कन्वेंशन में ट्रंप बतौर राष्ट्रपति उम्मीदवार पार्टी का नामांकन हासिल कर लेंगे। अपनी राजनीतिक रैलियों में निकी भले ही डॉनल्ड ट्रंप पर तीखे हमले कर रही हों, लेकिन इन जुबानी हमलों का कुछ खास फायदा होता नहीं दिख रहा।
ट्रंप के पक्ष में वोटर फिलहाल अपना रुख दिखा रहे हैं। ऐसे में साफ है कि साल 2020 में हुई कैपिटल हिल के दंगों के बाद पूर्व राष्ट्रपति की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है, बल्कि यह बढ़ी है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार राजीव डोगरा कहते हैं, 'ट्रंप ने सबकी उम्मीद पर पानी फेर दिया है। खासतौर से निकी हेली की झटका लगा है। निकी अपने ही स्टेट में नहीं जीत पाईं। अब विपक्ष उम्मीद लगाए बैठा है कि उन पर चल रहे मुकदमों की कानूनी प्रक्रिया में वह अयोग्य करार दिए जाएं, हालांकि इसकी संभावना कम ही लगती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसमे कोई शक नहीं कि रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ट्रंप ही होंगे। उनके सामने कोई चुनौती नहीं है।'
लोकप्रियता में कमी
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की लोकप्रियता में कमी आई है। न्यू यॉर्क टाइम्स और सिएना कॉलेज की ओर से हुए एक सर्वे के रुझान बाइडन के लिए बहुत अच्छे संकेत नहीं हैं। इस सर्वे में महज 23% लोगों ने माना कि बाइडन की दावेदारी को लेकर उनमें उत्साह है। ट्रंप के साथ करीब 48 फीसदी लोग थे। 26 फीसदी लोगों का कहना था कि वे बाइडन के काम से असंतुष्ट हैं, लेकिन नाराज नहीं। हालांकि ट्रंप के मामले में यह आंकड़ा महज 6 फीसदी का ही है।
इस सर्वे में सबसे खास बात यह है कि बाइडन की परफॉर्मेंस को 47 फीसदी लोगों ने नकार दिया। बीते चार वर्षों में बतौर राष्ट्रपति उनकी लोकप्रियता को यह सबसे बड़ा झटका है। राजीव डोगरा कहते हैं, 'बाइडन की बढ़ती उम्र में उनकी सेहत को लेकर काफी सवाल उठते रहे हैं। इसके साथ बतौर राष्ट्रपति उनकी सही फैसले लेने की क्षमता पर भी सवाल खड़े हुए हैं। मसला चाहे अफगानिस्तान को लेकर हो या फिर कोविड के दौरान सही से निर्णय न ले पाना। लोगों में इस्राइल-हमास संघर्ष से जुड़ी अमेरिकी नीतियों को लेकर भी असंतोष है। ऐसे में उनकी खुद की डेमोक्रेटिक पार्टी में भी उम्मीदवारी को लेकर नेता ज्यादा सहज महसूस नहीं करते।'
बढ़ रही लोकप्रियता
ट्रंप की लोकप्रियता में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जनवरी में उन्हें आयोवा कॉकस में मिली जीत का अपना महत्व है। यह जीत इस मायने में बड़ी थी कि वहां की 99 काउंटीज में से 98 काउंटीज उन्होंने सबसे ज्यादा वोट अपने खाते में किए। इस तरह समाज के सभी वर्गों के वोटरों का विश्वास उन्हें मिला वह इस बात का इशारा तो जरूर करता है कि अमेरिका का वोटर राष्ट्रपति चुनाव को किस तरह से देख रहा है।
साल 2020 के चुनावों के नतीजों को पलटने से जुड़े केसों की फांस ट्रंप के गले में लंबे समय से अटकी तो है, लेकिन इस मामले में अभी बहुत कुछ होना बाकी है। कुछ ही दिन पहले वहां के सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले में सुनवाई करेगा कि क्या इन केसों पर मुकदमा चलने से ट्रंप को प्रतिरक्षा मिली हुई है? ट्रंप ने दावा किया है कि ये विवादित आदेश उन्होंने तब दिए थे जब वह बतौर राष्ट्रपति कुर्सी पर मौजूद थे। इस मामले पर फैसला जून के आखिर में आ सकता है। यानी कोर्ट इस मामले में अपना फैसला पार्टी कन्वेंशन में उम्मीदवारी की आखिरी घोषणा से ठीक पहले कर देगा। उस वक्त तक ट्रंप का चुनावी विजय रथ कहां तक पहुंचता है यह देखना दिलचस्प रहेगा।
मिशेल ओबामा पसंदीदा
अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में पूर्व US प्रेजिडेंट बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा बाइडन की जगह लोगों की पसंद बनकर उभर रही हैं। उनकी उम्मीदवारी को लेकर कयासों का दौर जारी है। हालांकि एक्सपर्ट कहते हैं कि पार्टी उनकी लोकप्रियता का इस्तेमाल बाइडन के लिए करना चाहती है। सच्चाई जो भी हो फिलहाल अमेरिकी चुनाव के केंद्र में ट्रंप हैं। इस रेस में आगे क्या होता है इस पर सबकी निगाहें लगी हैं।