Home छत्तीसगढ़ राजभवन को ‘जनभवन’ का स्वरूप दिया : अनुसुईया उइके

राजभवन को ‘जनभवन’ का स्वरूप दिया : अनुसुईया उइके

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राज्यपालों-उपराज्यपालों के सम्मेलन में शामिल हुईं राज्यपाल उइके
रायपुर।
राज्यपाल अनुसुईया उइके गुरुवार को राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में आयोजित राज्यपालों और उपराज्यपालों के 51वें सम्मेलन में शामिल हुईं। सम्मेलन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडु तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उपस्थित थे। राज्यपाल ने सम्मेलन में प्रदेश में पेसा एक्ट के अंतर्गत नियमों को लागू करने एवं मेसा एक्ट को संसद में पारित करने की आवश्यकता बताई। राज्यपाल ने कहा कि राज्यपाल का दायित्व ग्रहण करने के पश्चात राजभवन के दरवाजे जो भी जरूरतमंद आया उनके समस्याओं को सुना और राजभवन की विशिष्ट अवधारणाओं को समाप्त करते हुए इसे ‘‘जनभवन’’ का स्वरूप दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना से बचाव एवं टीकाकरण के लिए प्रदेश के राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों के प्रमुखों से 28 वेबिनार के माध्यम से चर्चा कर उन्हें जागरूक किया और अर्धसैनिक बलों से सहयोग की अपील की। साथ ही स्वेच्छानुदान मद से जरूरतमंदों को 08 लाख 80 हजार की आर्थिक सहायता प्रदान की। उस समय जो प्रवासी मजदूर और विद्यार्थी दूसरी जगह फंसे हुए थे, उन्हें उनके घर वापसी में मदद की। साथ ही इस दौरान 10 हजार से अधिक लोगों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में परियोजनाओं हेतु भूमि अधिग्रहण के लिए विशेष प्रावधान बनाया जाए, जिससे उन्हें शेयर होल्डर बनाया जा सकता है। सुश्री उइके ने कहा कि छत्तीसगढ़ की 12 जातियां जो कि अनुसूचित जनजाति हैं, जिनमें मात्रात्मक त्रुटि होने की वजह से पात्र व्यक्तियों को जाति प्रमाण पत्र मिलने में कठिनाई हो रही है। इस संबंध में राज्य से प्रस्ताव भेजा जा चुका है। केन्द्रीय जनजाति विभाग भारत सरकार द्वारा विधेयक प्रस्तुतीकरण एवं पारित कराना शेष है। उन्होंने इस संबंध में भी जल्द कार्यवाही करने का आग्रह किया।
राज्यपाल ने जनजाति सलाहकार परिषद् में जनजाति समाज के गैर राजनीतिक व्यक्तियों को अध्यक्ष बनाने की आवश्यकता बताई। साथ ही छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने पर जोर दिया।
उन्होंने उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल के चार जिलों चन्दौली, कुशीनगर, संत कबीरनगर एवं संत रविदास नगर को जनजाति जिलों में शामिल करने तथा आंध्रप्रदेश सरकार द्वारा भूमि हस्तांरण विनियम के तहत जनजातीय भूमि अलगाव को रोकने के दिशा-निर्देशों के संबंध में भी चर्चा की। साथ ही सम्मेलन में राज्यपाल ने आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान उनके द्वारा की गई पहल की भी जानकारी दी।