थोड़ा सा भी लक्षण आए तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं
सांस : निमोनिया नहीं तो बचपन सही
रायगढ़। निमोनिया के प्रति जागरूकता लाने के लिए 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसके तहत जागरूकता कार्यक्रम, कैंपेन व विविध आयोजन किये जाते हैं। इस बार 0 से 5 साल तक के बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए सांस नाम से कैंपन चलाया जा रहा है। जिसकी शुरुआत विश्व निमोनिया दिवस से होगी और यह 28 फरवरी तक चलेगा।
कोविड महामारी की मार से हम काफी हद तक उबर चुके हैं पर, इसका यह कतई मतलब नहीं है कि बाकी महामारी का खतरा कम हुआ है और इन बीमारियों को नजरअंदाज कर दिया जाए। सर्दियों का मौसम लौट आया है, ऐसे में कई मौसमी बीमारियों का खतरा बना हुआ है इन्हीं में से एक है निमोनिया। इसे एक ऐसा रोग माना जा सकता है जिसका सही समय पर सही इलाज न हो तो हालत काफी बिगड़ सकती है और यह रोग जानलेवा भी बन सकता है। यह बीमारी एक ऐसा इंफेक्शन होता है जो फेफड़ों में तेजी से फैलता है और धीरे-धीरे रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता जाता है।
इस बीमारी का आसान शिकार होते हैं बच्चे और बुजुर्ग जिनका इम्यून सिस्टम वयस्कों की तुलना में थोड़ा कमजोर होता है। इन लोगों को निमोनिया के जानलेवा शिकंजे से बचाने के लिए ध्यान रखना बेहद जरूरी है। बच्चों या बुजुर्गों को सर्दी होते ही उसे हल्के में न लें और जल्द से जल्द उसे ठीक करने का प्रयास करें। सर्दियों में भरपूर तरल पदार्थ वाले खाना खाएं। आमतौर पर सर्दियों में पानी पीने की मात्रा भी कम ही हो जाती है। यह गलती न करें। बच्चों और बुजुर्गों दोनों को पर्याप्त पानी पिलाएं। सर्दी के डर से फलों से दूरी न बनाएं। फलों का जूस, नारियल पानी और नीबू पानी निश्चित अंतराल में देते रहें।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसएन केसरी निमोनिया से बचाव के बारे में बताते हैं, “ लोग फेफड़ों को स्वस्थ रखने का व्यायाम करें और स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं। विटामिन सी और डी का सेवन करें। हो सके तो प्रदूषण से दूर रहें। शराब, धूम्रपान से दूर रहें। खाने में ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्वों को शामिल करें। यदि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जाए और व्यायाम किए जाएं तो निमोनिया रोग से बचा जा सकता है। “
सांस अभियान की शुरुआत
आरएमएनसीएचए के जिला प्रभारी डॉ. राजेश मिश्रा बताते हैं, “निमोनिया सबसे अधिक 0-5 आयु वर्ग के बच्चों में होता है इससे बचाव के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्र्लाइज निमोनिया सक्सेसफुली (सांस) अभियान चलाया जाएगा। भारत सरकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा निमोनिया प्रबंधन पर सांस कार्यक्रम का क्रियान्यवयन किया जा रहा है। जिसका नारा निमोनिया नहीं तो बचपन सही है। 12 नवंबर को इस कैंपेन का उद्घाटन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में किया जाएगा। जिसमें ब्लॉक स्तर पर निमोनिया पर काबू करने के लिए योजना तैयार की जाएगी। आंकड़ें बताते हैं कि 0-5 आयु के बच्चों के मृत्यु का प्रमुख कारण निमोनिया है। जिससे अनुमानित 14% लगभग 1.3 लाख बच्चों की मृत्यु प्रतिवर्ष होती है। निमोनिया से बच्चों को बचाना ही हमारा लक्ष्य है।“
हल्के में न लें निमोनिया को : डॉ मनोज पटेल
बालाजी मेट्रो अस्पताल के जनरल फिजिशियन डॉ. मनोज पटेल बतात हैं, “ इस सीजन में निमोनिया के मरीजों में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई है। मरीज सर्दी-जुकाम और खांसी के लक्षणों के साथ आ रहे हैं और बाद में उनमें निमोनिया का इंफेक्शन निकल रहा है। इन्हें सांस लेने में दिक्कत नहीं हो रही है यह ज्यादा चौकानें वाला है। कई मरीज उल्टी-दस्त की पेरशानी के साथ आ रहे हैं और उन्हें निमोनिया निकल रहा है। कोविड के लक्षण के बिना निमोनिया वाले मरीजों की संख्या में बढ़ी है। लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि यदि उनमें बुखार-सिरदर्द-खांसी के लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करे। निमोनिया बड़ों में भी जानलेवा है। सामान्य सर्दी-बुखार से शुरू होने के साथ यह इंफेक्शन लीवर, किडनी को नुकसान पहुंचाता है फिर मरीज का ब्लड प्रेशर नहीं मिलता और इंफेक्शन पूरे शरीर में फैल जाता है।