लखनऊ
राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान जारी है। क्रॉस वोटिंग के साये में यूपी की 10 सीटों के लिए हो रहे इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के कम से कम आधा दर्जन विधायक एनडीए के खेमे में नजर आए हैं। पांच विधायकों ने सीएम योगी से मुलाकात भी की। साफ दिख रहा है कि राज्यसभा चुनाव को लेकर सपा में फूट पड़ गई है। चुनाव के नतीजों का तो पता शाम को चल जाएगा लेकिन इस बीच समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव थोड़ा खीझे नजर आए। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वो जीत हासिल करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार के खिलाफ खड़े होने का साहस हर किसी में नहीं होता। जब मुख्यमंत्री और दिल्ली से फोन जा रहे हों तो किसकी हिम्मत है कि मना कर दे। वहीं उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा- ' हमारी राज्यसभा की तीसरी सीट दरअसल सच्चे साथियों की पहचान करने की परीक्षा थी और ये जानने की कि कौन-कौन दिल से PDA के साथ और कौन अंतरात्मा से पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ है। अब सब कुछ साफ़ है, यही तीसरी सीट की जीत है।'
दरअसल, विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से एनडीए के पास कुल सात तो समाजवादी पार्टी के दो राज्यसभा उम्मीदवारों को आराम से जिता लेने की ताकत थी लेकिन समाजवादी पार्टी ने जया बच्चन और रामजी सुमन के साथ तीसरे उम्मीदवार के तौर पर पूर्व आईएएस आलोक रंजन को खड़ा कर दिया तो भाजपा ने आठवें उम्मीदवार के तौर पर कारोबारी से राजनेता बने संजय सेठ को मैदान में उतार दिया। इसके बाद सपा की मुश्किलें बढ़ गईं। एक पर सीट के लिए 37 वोटों की जरूरत है। ऐसे में एनडीए के सभी उम्मीदवारों को 37-37 वोट दिए जाने के बाद एनडीए के पास 18 वोट बच रहे थे।
इधर, रालोद के नौ वोट भी उसे ही मिले। साथ ही राजा भैया के जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के दोनों वौट भी एनडीए को ही मिले। इसके बाद भी एनडीए को आठ वोटों की जरूरत थी। एक-एक वोट के लिए दोनों तरफ से पूरी ताकत लगाई गई। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने तीसरे उम्मीदवार की जीत के लिए प्रयास से ज्यादा अपने विधायकों को सहेजने की कोशिश की। लेकिन सोमवार की रात उनके डिनर से आठ विधायक गायब हो गए। इनमें मनोज पांडेय ने मंगलवार को पार्टी के मुख्य सचेतक के पद से इस्तीफा भी दे दिया। विधायक मनोज पांडेय, राकेश पांडेय, राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह और विनोद चतुर्वेदी के एनडीए खेमे में दिखने से सपा की मुश्किलें बढ़ गईं।
सपा के पास कुल 108 वोट थे। कांग्रेस से गठबंधन के बाद उसके दो वोट भी सपा को मिलने थे। इसके बाद भी तीसरे उम्मीदवार की जीत के लिए उन्हें एक और वोट की जरूरत थी। सपा के दो विधायक अभी जेल में हैं। उन्हें भी वोट देने की इजाजत नहीं मिली। इस बीच एक के बाद एक विधायकों की बगावत की स्थिति सामने आने के बाद अखिलेश यादव कुछ बुझे-बुझे से नज़र आए। उन्होंने पहले मीडिया से बातचीत के दौरान फिर एक्स पर पोस्ट के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा कि अगले लोकसभा चुनाव पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जनता सब देख रही है और जब मुकाबला जनता के बीच होगा तो बीजेपी को इसका जवाब मिल जाएगा।