बिलासपुर
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद् का तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन कोनी में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैंस ने उद्घाटन किया। बैस ने कहा कि जब तक राष्ट्रभक्ति की भावना नहीं होगी, गर्व नहीं होगा।
एक मात्र भारत है जो राष्ट्रभाषा को बचाने के लिए समिति बनाया और भारत के राजभाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए चिंतन और प्रयत्न करने प्ररित किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के उप-मुख्यमंत्री अरुण साव भी उपस्थित थे।
साव ने कहा कि सबसे प्राचीन श्रेष्ठ, संस्कृति, संस्कार हमारे भारत वर्ष की है। आज भारत की प्रतिष्ठा, गौरव सम्मान, अभियान को गति देने की और जुड?े की आवश्यकता है। इस अधिवेशन का स्थान बिलासपुर को चुने जाने पर कुलपति और राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद् के सभी सदस्यों को उन्होंने धन्यवाद दिया।
अधिवेशन के प्रथम सत्र में कुलपति, आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी ने स्वागत भाषण में शोधार्थियों एवं उपस्थितों को मचस्थ अतिथियों का परिचय प्रदान किया। डॉ. पूजा पाण्डेय ने मंच संचालन किया एवं बताया कि राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद के विषय "समाज विज्ञान की दृष्टि से भारतीय परंपरा में समा विकास एवं 6 उपविषयों के संदर्भ में 150 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हुए है, जिनसे संबंधित स्वमण पुस्तिका एवं श्रीकुमार मुखर्जी की रचना का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर जी. राजकुमार भाटिया, पूर्व आचार्य, दिल्ली विश्वविद्यालय, प्रो. धनंजय सिंह, सदस्य सचिव आईसीएसएस जारए नई दिल्ली, प्रज्ञा प्रवाह, नई दिल्ली के राष्ट्रीय संयोजक जी. नंद कुमार ने इस मौके पर अपने विचार रखें।