नई दिल्ली
भारत के चंद्रयान-3 ने पिछले साल चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पर उतरकर ऐसा करने वाले पहले देश की उपलब्धि हासिल कर ली है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने इस नामुमकिन काम को करके दुनिया को चौंका दिया था। हालांकि चांद पर 15 दिन काम करने के बाद चंद्रयान-3 ठंडी रातों के बाद कभी नहीं जागा। हालांकि इसरो ने भी कहा था कि इस यान को चांद की -200 डिग्री तापमान वाली सर्दी के लिए तैयार नहीं किया था। हालांकि जो चंद्रयान-3 नहीं कर पाया, जापान के चंद्रयान SLIM ने कर दिखाया। इस यान ने चांद की ठंडी रातें सफलता पूर्वक सर्वाइव कर ली हैं। जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जैक्सा ने सोमवार को जानकारी दी कि उसके चंद्रमा लैंडर ने चंद्र की सर्द रातें सफलतापूर्वक पूरी कर ली हैं और वह अच्छी तरह से काम कर रहा है।
जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जैक्सा ने नामुमकिन काम को मुमकिन कर दिखाया है। उसने X पर एक पोस्ट में कहा, "पिछली रात, SLIM को एक कमांड भेजा गया था और एक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।" बता दें कि जनवरी महीने में जापान का चंद्रयान SLIM एक अजीब लैंडिंग के बाद चांद पर स्लीप मोड में डाल दिया गया था। तब जैक्सा ने कहा था कि यान के सौर पैनल गलत दिशा में थे और वह बिजली पैदा करने में असमर्थ था।
इसके बाद सूरज की रोशनी के बीच लैंडर ने काम करना शुरू किया और एजेंसी को तस्वीरें भेजनी शुरू की लेकिन, जल्द ही चांद की सर्द रातों में उसे फिर स्लीपिंग मोड में डाल दिया गया था। जैक्सा ने उस समय कहा था कि SLIM को चंद्र रातों के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है। हालांकि उम्मीद जरूर जताई थी कि वह सर्वाइव कर लेगा। जैक्सा ने कहा कि उसने फरवरी के मध्य से फिर से SLIM को संदेश भेजकर जगाने की योजना बनाई थी, जब सूर्य फिर चांद पर उजाला करेगा। जैक्सा ने कहा कि लैंडर के साथ हुआ संचार थोड़े समय के बाद समाप्त हो गया था, ऐसा संभवत: इसलिए हुआ होगा क्योंकि चांद पर दोपहर का वक्त होगा, उस वक्त संचार उपकरणों का तापमान बहुत अधिक होता है। कहा गया है कि उपकरण का तापमान पर्याप्त रूप से ठंडा होने पर परिचालन फिर से शुरू करने की तैयारी की जा रही है।
गौरतलब है कि जनवरी में चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करके जापान ऐसा करने वाले चार देशों के साथ शामिल हो गया है। इससे पहले चांद पर यान की सॉफ्ट लैंडिंग अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ, चीन और भारत कर चुके हैं। बता दें कि SLIM ने चांद की सर्द रातों को सर्वाइव करने के बाद सतह पर से मिशन की कोई तस्वीर अभी तक नहीं भेजी है।