बिजनौर
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन टूटते-टूटते बचा है. एक नेता के फोन से ये रिश्ता बिगड़ते-बिगड़ते बच गया और दोनों दल फाइनली आपस में जुड़ गए हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अलायंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने राहुल गांधी और अखिलेश यादव से फोन पर बात की और गठबंधन की सारी अड़चनों को हटाया. सीटों पर सहमति बनने के बाद अखिलेश का भी बयान आया और उन्होंने कहा, अंत भला तो सब भला.
बात पुरानी है लेकिन कहानी और किरदार वही हैं. वक्त की मांग को देखते हुए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी साथ हैं. 7 साल बाद एक बार फिर मोदी को हराने के नाम पर यूपी के 2 लड़के मिल तो गए हैं. लेकिन सवाल गर्मजोशी को लेकर है? हालांकि ख्वाब तो पूरी रफ्तार से दौड़ने का था. लेकिन ये साथ 2017 के विधानसभा चुनाव में हार के साथ खत्म हो गया था. लेकिन एक बार फिर राजनीतिक मजबूरी ने दोनों के रास्ते एक कर दिए. हालांकि, कांग्रेस को अपनी शर्तों से पीछे हटना पड़ा और सपा को बड़े भाई के रूप में स्वीकारना पड़ा है.
'पहले 20 सीटें मांग रही थी कांग्रेस'
यही वजह है कि अलांयस पर बात बिगड़ते दिखी तो अखिलेश ने साफ कर दिया कि जब तक सीट शेयरिंग तय नहीं होती वो राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का हिस्सा नहीं बनेंगे. उसके बाद लखनऊ में सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों की तरफ से कोशिश बेनतीजा रही. इसकी वजह कांग्रेस का 20 सीटें मांगना बताया जाता है, जबकि अखिलेश लगातार 17 सीटों का ऑफर दे रहे थे. कांग्रेस ने 17 सीटों के अलावा 3 और सीटों की मांग कर दी थी, जिसमें बिजनौर, मुरादाबाद और बलिया की सीट शामिल है.
'प्रियंका ने अखिलेश-राहुल से बात की, निकाला फॉर्मूला'
जैसे ये बात बाहर निकली तो गठबंधन टूटने की आशंका लगाई जाने लगी. अखिलेश यादव ने भी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से दूरी बनाए रखी, जिसके बाद प्रियंका गांधी सक्रिय हुईं. सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी ने पहले राहुल गांधी से बात की, जिसके बाद उन्होंने अखिलेश यादव को फोन लगाया और समझौते का फॉर्मूला तैयार किया. सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस ने मुरादाबाद, बलिया और बिजनौर सीट की मांग खत्म कर दी. वहीं, 2 सीटों पर बदलाव की मांग की, जिस पर समाजवादी पार्टी सहमत हो गई है. अब सपा 63 और कांग्रेस 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.
'अमरोहा सीट कांग्रेस को देने पर बनी सहमति'
दरअसल, कांग्रेस की ओर से हाथरस, श्रावस्ती की सीटें बदलने के लिए कहा गया है, जिसकी जगह उन्हें अब मथुरा, बुलंदशहर और सीतापुर की सीट दे दी गई. सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी मुरादाबाद में अपने किसी करीबी को सीट देना चाहती थीं. लेकिन मुरादाबाद की सीट इस वक्त समाजवादी पार्टी के पास है. ऐसे में अखिलेश इस सीट को कांग्रेस को देने के मूड में नहीं थे. जिसके बाद प्रियंका ने खुद ही आगे होकर उस सीट की मांग छोड़ दी. वहीं, अमरोहा सीट कांग्रेस को देने की सहमति बन गई.
'वाराणसी सीट पर सपा ने कदम पीछे खींचे'
सूत्रों की मानें तो वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय इस बार बलिया से चुनाव लड़ना चाहते थे. क्योंकि बलिया सीट में मुस्लिम और भूमिहार फैक्टर काफी कारगर साबित होता है. ऐसे में सपा का अगर साथ मिल जाता तो कांग्रेस नेताओं को उम्मीद थी कि यहां जीत के चांस बढ़ जाते. फिलहाल, बलिया की सीट भी समाजवादी पार्टी अपने पास रखेगी. इससे पहले अखिलेश यादव ने वाराणसी सीट पर भी अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया था. अब वाराणसी की सीट दोबारा कांग्रेस को दे दी गई है. लेकिन कांग्रेस को ना मुरादाबाद की सीट मिली और ना बलिया.
'क्या अखिलेश ने की प्रेशर पॉलिटिक्स?'
तो क्या चारों तरफ से टूट रहे विपक्षी दलों के INDIA ब्लॉक को लेकर अखिलेश ने दबाव की राजनीति की? क्या इसीलिए उन्होंने राहुल के अमेठी पहुंचने से पहले दूसरी लिस्ट जारी की. जिस वक्त राहुल अमेठी में अपनी यात्रा निकाल रहे थे, तब समाजवादी पार्टी की तीसरी लिस्ट भी आ गई. क्या इसी वजह से कांग्रेस को बैकफुट पर आना पड़ा. फिलहाल, साइकिल और हाथ एक बार फिर साथ हैं. सवाल ये है कि क्या प्रियंका गांधी ने इसलिए दखल दिया ताकि नीतीश कुमार और ममता बनर्जी के बाद अखिलेश यादव की तरफ से भी गठबंधन टूटने का दोष कांग्रेस को ना दिया जाए?
'MP में खजुराहो सीट पर लड़ेगी सपा'
कांग्रेस जब प्रेशर में आई तो अखिलेश ने मध्य प्रदेश का दांव भी खेल दिया. मध्य प्रदेश चुनाव की खजुराहो सीट पर सपा चुनाव लड़ेगी. बाकी सीटों पर कांगेस के उम्मीदवारों का समर्थन किया जाएगा. इससे पहले सपा की तरफ से मध्य प्रदेश में किसी सीट पर दावेदारी की चर्चा सामने नहीं आई थी.
'न्याय यात्रा में आगरा में शामिल हो सकते हैं अखिलेश'
अब जब सीटों पर सहमति बन गई है तो अखिलेश यादव आगरा में राहुल गांधी की यात्रा में शामिल हो सकते हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या जिस मकसद से राहुल-अखिलेश साथ आए हैं, उसमें वो इस बार कामयाब होंगे या फिर नतीजा 7 साल पहले जैसा होगा?
UP में इन 17 सीटों पर लड़ेंगी कांग्रेस
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जिन 17 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी. उनमें रायबरेली, अमेठी, कानपुर नगर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महाराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी, देवरिया शामिल हैं.