नई दिल्ली
मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु के भारतीय सैन्य बलों के उनका देश छोड़ने के अल्टीमेटम से बढ़ी तल्खी के बावजूद भारत ने इस द्वीप देश में अपनी परियोजनाओं की गति बढ़ा दी है। हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाने की होड़ के बीच भारत और चीन ने हिंद महासागर में स्थित इस देश को आर्थिक रूप से लुभाने की बहुत कोशिश की है। परंपरागत रूप से मालदीव भारत का मित्र रहा है, लेकिन नई सरकार के आने के बाद से राष्ट्रपति मुइज्जु चीन के खासे चहेते हैं। एक भारतीय अधिकारी और सरकारी दस्तावेजों के अनुसार भारत ने इस वित्त वर्ष में मालदीव पर तय बजट से दोगुना निवेश किया है। मार्च में खत्म हो रहे वित्त वर्ष के लिए 4 अरब की परियोजनाएं लाने का बजट था, लेकिन 7.71 अरब रुपये (9.3 करोड़ डॉलर) की परियोजनाएं भारत ने मालदीव में शुरू कर रखी हैं।
विरोध के बावजूद भारत सरकार ने दिखाई दरियादिली
पिछले साल अक्टूबर में मुइज्जु के सत्ता में आने के बाद से भारत के विरोध पर उतारू रहने के बावजूद भारत सरकार ने यह दरियादिली दिखाई है। भारत की ओर से कर्ज के तौर पर दी गई रकम में 50 करोड़ डॉलर की परियोजनाओं में माले के आसपास की सड़कें और पुलों का निर्माण होना है। साथ ही मालदीव के सुदूर द्वीपों में 13 -13 करोड़ डॉलर में दो एयरपोर्ट बनने हैं।
चीन गए, अब तक भारत नहीं आए मुइज्जु
अगले साल मालदीव की परियोजनाओं के लिए भारत ने छह अरब रुपये पहले ही अलग कर दिए हैं। इसके बाद भी चीन के करीबी 45 वर्षीय मुइज्जु पिछले महीने ही सरकारी दौरे पर चीन गए थे लेकिन अब तक भारत नहीं आए।
मालदीव में सरकार ने विपक्ष को चेताया
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु को सौ दिनों के अंदर सत्ता से बाहर करने के विपक्षी प्रयासों पर सरकार के वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि प्रशासन उन्हें ऐसा नहीं करने देगा और फिर चाहे वह हमारे गले की हर एक नस को काट ही क्यों न दें। इस्लामिक मामलों के मंत्री मोहम्मद शहीम अली सईद ने रविवार को यह कहा। 45 वर्षीय चीन समर्थक मुइज्जु ने सितंबर के चुनाव में भारत समर्थक इब्राहिम सोलिह को हराया था।