कांकेर.
कांकेर जिले के धान खरीदी केंद्रों में उठाव नहीं होने से कोइलीबेड़ा ब्लॉक के खरीदी प्रभारियों ने जल्द धान उठाव की मांग को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। खरीदी प्रभारियों ने बताया कि जिले के कोइलीबेड़ा ब्लॉक में अब तक सिर्फ 30 प्रतिशत धान का उठाव हुआ है। जिले के परलकोट के धान खरीदी प्रभारियों ने उठाव को लेकर भेदभाव का आरोप लगाया है। खरीदी प्रभारियों का कहना है की कांकेर जिले के कोइलीबेड़ा ब्लॉक को छोड़कर सभी ब्लॉकों में धान का उठाव करीब 90 प्रतिशत उठाव हो चुका है।
समय पर धान का उठाव नहीं होने के कारण गर्मी बढ़ने से धान तौल में कमी आ रही है। दाने में दो से तीन किलो की कमी आ रही है। तौल कम होने पर मिलर परिवहन नहीं कर रहे हैं। अधिक बार दाना देने के कारण स्टॉक में कमी आ रही है। कोइलीबेड़ा ब्लॉक के लैंप्स प्रबंधक सुभाष विश्वास ने बताया कि 1 नवंबर से 31 जनवरी तक धान खरीदी की गई है, लेकिन उठाव सिर्फ 15 से 20 प्रतिशत ही हुआ है। कहीं-कहीं 90 प्रतिशत तक उठाव हो चुका है। ये भेदभाव क्यों किया जा रहा है, इसे लेकर कलेक्टर, डीएमओ से मिलने आए थे जो भी मिला उनसे चर्चा की तो बताया कि यह हमारे हाथ में नहीं है। केंद्र सरकार से निधारित होगा, उसके हिसाब से खरीदी उठाव किया जाएगा। खरीदी केंद्रों में रखे धान का उठाव नहीं होने से धूप में सूखने के कारण दो से तीन किलो कमी आ रहा है। 17 प्रतिशत की नमी पर खरीदी करने को कहा गया था, जो अब 11 प्रतिशत तक आ गया है। वहीं, धान को खोखला करने वाले कीड़ों से नुकसान उठाना पड़ रहा है।
डीएमओ आशुतोष कोसरिया ने उठाव को लेकर कहा कि एनआईसी के माध्यम से डीओ जारी होता है। इसमें जो मिलर आवेदन करता है, उसके एल वन में ही डीओ जारी किया जाता है। कोइलीबेड़ा क्षेत्र में मिलिंग की कमी है। इसलिए ऐसी परेशानी आ रही है। आज की स्थिति में राज्य में ऐसी बहुत सी समितियां हैं, जिसे डीओ जारी नहीं हुआ है। अगर ऐसी स्थिति कोइलीबेड़ा में ही आती तो अलग बात होती है। अगर राज्य में सभी जैसी ऐसी स्थिति आती है, उसके लिए शासन अलग पॉलिसी बना सकती है।