काबुल
तालिबान अकसर महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर पाबंदियां लगाने वाले फरमान सुनाता रहा है। अब उसने एक अनोखा फरमान सुना दिया है, जिसके तहत उसने जिंदा इंसानों और जानवरों की तस्वीरें खींचने पर रोक लगा दी है। सैन्य एवं सिविल अफसरों को आदेश जारी करते हुए कंधार की तालिबान सरकार ने कहा कि जिंदा लोगों और जानवरों की तस्वीरें लेना गलत है। यदि कोई ऐसा करता है तो उसे रोका जाए और अफसर ऐसा करना सुनिश्चित करें। बता दें कि कंधार ही वह जगह है, जहां से तालिबान की शुरुआत हुई थी। इस कट्टरपंथी संगठन ने 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिका के जाने के बाद वहां अपनी सरकार का ही गठन कर लिया है।
तालिबान की ओर से जारी आदेश पत्र में कहा गया है कि जिंदा लोगों की तस्वीरें यदि खींची जाती हैं तो उन्हें अन्य सामानों के मुकाबले ज्यादा नुकसान पहुंचता है। ऐसे में किसी औपचारिक अथवा अनौपचारिक सम्मेलन, मीटिंग अथवा कार्यक्रम में लोगों की तस्वीरें न ली जाएं। निर्जीव वस्तुओं के मुकाबले तस्वीरें खींचे जाने से उन्हें ज्यादा नुकसान पहुंचता है। यह नियम सरकारी आयोजनों पर भी लागू होगा और किसी भी मीटिंग आदि की तस्वीरें नहीं ली जा सकेंगी। हालांकि इन मीटिंगों के बारे में लिखित और ऑडियो रिपोर्ट दी जा सकती हैं।
इस फरमान को सुनाते हुए तालिबान ने लॉजिक दिया है कि इस्लामिक आर्ट में इंसानों और पशुओं की तस्वीरें लेने की मनाही है। कंधार के गवर्नर के प्रवक्ता ने इस बारे में पूछने पर बताया कि ऐसा आदेश जारी किया गया है। लेकिन यह सिर्फ सरकारी अधिकारियों पर ही लागू होगा। प्रवक्ता महमूद आजम ने कहा, 'यह फैसला आम लोगों और स्वतंत्र मीडिया के लिए नहीं है।' बता दें कि इससे पहले 1996 से 2001 के दौरान भी अफगानिस्तान पर तालिबान की ही सत्ता थी। तब भी कट्टर इस्लामी संगठन ने जिंदा लोगों की तस्वीरें लेने और उनके वीडियो बनाने पर रोक लगा रखी थी।
मीडिया संस्थानों को भी रोक रहा तालिबान, पर विदेशी नेताओं की शेयर कर रहा फोटो
यही नहीं करीब ढाई साल पहले फिर से सत्ता में लौटने के बाद तालिबान ने कई मीडिया संगठनों को जिंदा लोगों की तस्वीरों का इस्तेमाल करने से रोका है। हालांकि दूसरे देशों के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग की तस्वीरें खुद तालिबान के ही शीर्ष अधिकारी शेयर करते रहे हैं।