अबू धाबी
यूएई और भारत के संबंध आज के समय बेहद अच्छे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यूएई में रहने वाले भारतीय हैं, जिन्होंने आज के समय भारत की एक ऐसी छवि बनाई है, जो अमीरात के लोगों को पसंद आ रही है। यही कारण है कि यहां पर रहने वाले प्रवासियों में सबसे बड़ी आबादी भारतीयों की है। यूएई में भारतीय छोटे-मोटे काम करने के साथ बड़े-बड़े बिजनेस और कंपनियों के सीईओ के पद पर भी हैं। इसके बाद आबादी के लिहाज से पाकिस्तानियों का नंबर आता है, लेकिन उन्हें वह इज्जत नहीं मिलती जो भारतीयों की है। यह बात यूएई में रहने वाले पाकिस्तानी भी मानते हैं।
पाकिस्तान के यूट्यूबर सुहैब चौधरी ने यूएई में पाकिस्तानियों से मुलाकात की और उनका इंटरव्यू लिया। इस इंटरव्यू में एक पाकिस्तानी ने कहा कि यूएई में भारतीय और पाकिस्तानी साथ-साथ रहते हैं। भारतीयों की काफी इज्जत है और भारतीय यहां पाकिस्तानियों से नफरत वाली भावना नहीं रखते। पाकिस्तान के रहने वाले गरीब नवाज से सुहैब ने बात की। नवाज ने कहा कि भारतीय अपनी पढ़ाई लिखाई और स्किल के लिए जाने जाते हैं। लेकिन पाकिस्तानियों में यह क्वालिटी नहीं है।
भारतीय क्यों हैं आगे?
गरीब नवाज ने पाकिस्तानियों से कहा कि बिना शिक्षा और स्किल के यूएई में नहीं आना चाहिए। क्योंकि यहां आकर उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कुछ करप्ट लोगों ने देश का नाम खराब कर दिया, जिस कारण लोग पाकिस्तानियों को नौकरी नहीं देना चाहते हैं। जबकि इंडियन, बांग्लादेशी या नेपाली के साथ ऐसा व्यवहार नहीं होता। भारत के लोगों के आगे होने को लेकर उन्होंने कहा कि भारतीय काफी पढ़े लिखे होते हैं और साथ ही वह अपने लोगों की मदद करते हैं। उनकी सरकार भी सपोर्ट करती है। गरीब नवाज ने एक होटल की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह पहले पाकिस्तानी का था, लेकिन भारतीयों के पास इतना पैसा होता है कि उन्होंने इसे खरीद लिया है।
'भारतीय मालिक करते हैं सपोर्ट'
उन्होंने कहा कि पुराना मालिक पाकिस्तान से था, इसलिए उन्होंने पाकिस्तानियों को रखा था। लेकिन भारतीय मालिक ने किसी को निकाला नहीं, क्योंकि उनके दिल में रहम था। क्योंकि यहां इंडियन-पाकिस्तानी सब भाई-भाई हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि पहले होटल पर पाकिस्तान का झंडा लगा था, जिसे भी नहीं हटाया गया है। उन्होंने कहा कि एक भारतीय जो काम करता है वह अपने लोगों को यहां लाने में जुट जाता है। लेकिन पाकिस्तानी ऐसा नहीं करते, क्योंकि उन्हें डर रहता है कि यहां आकर उनकी नौकरी पर खतरा आ जाएगा। पाकिस्तानी पाकिस्तानियों की मदद नहीं करते।