इस्लामाबाद
पाकिस्तान में चुनाव के नतीजे आने के बाद करीब एक सप्ताह का वक्त बीच चुका है, लेकिन अब तक सरकार का गठन नहीं हुआ है। एक तरफ नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ने शहबाज शरीफ को कुर्सी पर बिठाने की तैयारी कर ली है। वहीं इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने उमर अयूब को अपना पीएम कैंडिडेट बना दिया है। इमरान खान की पार्टी को इस बार सिंबल नहीं मिला था। इसके चलते उसने निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन दिया था, जिनमें से 93 ने जीत हासिल की है। यह सबसे बड़ा आंकड़ा है, जबकि दूसरे नंबर पर नवाज शरीफ की पार्टी है, जिसने 75 सीटों पर विजय पाई है।
तीसरे नंबर पर पीपीपी है और उसे 54 सीटें मिली हैं। चर्चा है कि सेना की सहमति से शहबाज शरीफ को ही पीएम बनाए जाने पर फैसला हुआ है। इसके लिए नवाज शरीफ भी राजी हो गए हैं। इसके लिए पीएमएल-एन और पीपीपी एकजुट हो रहे हैं। वहीं इमरान खान की पार्टी भी अपने दांव चल रही है। यही नहीं पाकिस्तान अखबार 'द न्यूज' की रिपोर्ट के मुताबिक सेना ने इमरान खान से भी इसके लिए संपर्क किया था। उन्हें पीएम का पद इस शर्त पर ऑफर किया गया था कि वह 9 मई को हुई हिंसा को लेकर माफी मांग लें। इसके अलावा वादा करें कि सेना के खिलाफ अब कभी कोई घटना नहीं होगी और वह बयानबाजी भी नहीं करेंगे।
सेना और इमरान के बीच क्यों नहीं हुई डील, क्या था पूर्व क्रिकेटर का रवैया
हालांकि इस डील पर बात नहीं बन सकी है। पाकिस्तान के पूर्व डिफेंस सेक्रेटरी नईम खालिद लोधी ने इस डील पर चर्चा होने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि मुझे जानकारी है कि सेना ने इमरान खान से इनडायरेक्ट बातचीत की थी। इमरान खान को सेना की ओर से भेजे संदेश में कहा गया था कि वह मानें की 9 मई की हिंसा की साजिश उन्होंने रची थी। इसके लिए माफी मांगें और कहें किआगे से ऐसा नहीं होगा। लोधी ने कहा कि इस पर इमरान खान ने कहा कि मैं उन लोगों को हटा दूंगा, जिन पर हिंसा में शामिल रहने का आरोप है। उनके खिलाफ ऐक्शन भी लिया जाएगा। लेकिन यह बात मानने से इनकार कर दिया कि उस हिंसा में उनका कोई रोल था।
क्यों हुई थी 9 मई की हिंसा, सेना भी आई थी निशाने पर
बता दें इमरान खान की सरकार के खिलाफ पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव आया था। इसमें इमरान खान की पार्टी को हार मिली थी। फिर पार्टी सत्ता से बेदखल हुई और इमरान खान के खिलाफ तमाम मुकदमे चले। उन्हें गिरफ्तार करने के दौरान 9 मई को भीषण हिंसा हुई थी और सेना के प्रतिष्ठानों पर भी हमला बोला गया था। इसी मामले को लेकर इमरान खान सेना के निशाने पर हैं। हालांकि एक वर्ग है, जो इमरान खान को पसंद कर रहा है। यही वजह है कि निर्दलीय उतारे जाने के बाद भी बड़ी संख्या में उनके समर्थक उम्मीदवार जीते हैं।